क्या अशुद्धि के समय, ग्रहण के समय, सूतक-पातक के समय भावना योग कर सकते हैं? क्या भावना योग करने के पूर्व स्नान करना जरूरी है?
डॉ. एस. के. पाटौदी, अजमेर राजस्थान
भावना योग के लिए किसी भी प्रकार की शुद्धि-अशुद्धि, सूतक-पातक का कोई व्यवधान नहीं है। क्योंकि भावना योग के स्वरूप में किसी मन्त्र का प्रयोग नहीं है, केवल ओंकार का उच्चारण होता है। तो अशुद्धि में महिलाएँ उस ओंकार के नाद को छोड़ दें, अनुगूँज कर लें। वे भावना योग कर सकती हैं। ग्रहण तो वैसे भी ध्यान-चिन्तन का समय होता है, तो उस समय भावना योग कर सकते हैं।
जहाँ तक स्नान करके भावना योग करने का सवाल है, तो स्नान करके करो तो आप ज़्यादा फ्रेश रहोगे। बिना स्नान के करो तो आपको प्रमाद आ सकता है। हो सकता है भावना योग करते-करते आपको झपकी आने लगे। आप किसी और दुनिया में चले जाओ। जो उसका वांछित लाभ मिलना चाहिए आपको नहीं मिलेगा। लेकिन, ऐसा कोई जरूरी नहीं कि आप स्नान करके ही करें। यदि सुविधा हो तो स्नान जरूर करें। सबसे उत्तम समय प्रातःकाल का है, लेकिन यदि आपको वह समय अनुकूल नहीं बैठ पाता, तो जिस समय आप कर सको उस समय करें।
जो बहुत लगन से पिछले अनेक माहों से निरन्तर लोगों को भावना योग करा रहे हैं और हजारों लोगों को भावना योग कराया है, उसमें राजेश पूनम जैन पूना से, मुकेश कीर्ति जैन दिल्ली से, डॉ. एस. के. पाटौदी, अजमेर से, डॉ. सरोज कोठारी इंदौर से, जितेश जैन, नमन दोषी, इन लोगों ने भावना योग में बहुत सक्रिय भूमिका रखी है। और इनके साथ भावना योग को आगे बढ़ाने में प्रमाणिक समूह की बड़ी भागीदारी है। उसमें सचिन जैन और अंकित जैन की बड़ी सक्रियता है। मैं सभी को आशीर्वाद देता हूँँ। जो भावना योग के प्रतिभागी हैं, वे भावना योग सीखें और इसे जन-जन तक पहुँचाने की कोशिश करें। स्वयं के जीवन में उतारें और औरों को उतारने का अवसर दें। सभी को आशीर्वाद।
Bhavana yog bahut acha h mujhe bhaut dino se kasmkas thi ki bhavana yog kb or kasa kare aaj vo khatam ho gai thanks 🌹