शंका
जब किसी के घर तीए की बैठक की जाती है तब वहाँ शोक संदेश पढ़ा जाता है और मन्दिरों में दान देने की बात की जाती है, क्या यह उचित है?
समाधान
दान की घोषणा आजकल तीए की बैठक में की जाने लगी है। शास्त्रों में ऐसा लिखा है कि जब किसी के यहाँ शोक हो, तब उस शोक के बाद जो शुद्धि होती है वह पात्र दान या देव पूजा से की जाती है। नियमतः यह बारहवें के बाद होनी चाहिए। लेकिन अब सब काम शॉर्टकट में होने लगे हैं, तो मैं क्या कह सकता हूँ।
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