शंका
अक्सर हमारे मन में कभी अच्छे तो कभी बुरे विचार आते रहते हैं, लेकिन हमारे भाव उन विचारों के साथ नहीं होते। भाव तो शुद्ध ही रहते हैं, तो ऐसे में क्या हमें कोई पाप लगता है क्या?
रंजना जैन, दौसा
समाधान
सामान्य रूप से विचार होना और विचारों में बह जाना, इन दोनों में अन्तर है। कई बार ऐसा होता है कि क्रिया अलग होती है, भाव अलग होते हैं। अगर बुरी क्रिया करने में भी आपको उतनी संलिप्तता नहीं है, तो आपको पाप नहीं लगेगा। अच्छी क्रिया कर रहे हैं और मन में भाव अच्छे नहीं हैं, तो भी अच्छा नहीं लगेगा। इसलिए सब क्रियाओं में अहम भूमिका भाव की होती है। अच्छे कार्य करें, बुरे कार्य करने का प्रसंग आए उसे अपने भाव से हटाएं और अच्छे कार्य करने का जब कोई प्रसंग बने तो अपने पूरे भाव लगाएं।
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