शंका
कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं, जो जैसा स्वयं को प्रदर्शित करते हैं, वैसे वे होते नहीं और जैसे वो होते हैं वैसा उसी जगह प्रदर्शित करते हैं, जहाँ उन्हें किसी का भय नहीं होता। व्यक्ति को कैसे परखना चाहिए?
समाधान
कुरल काव्य में लिखा है, ‘मनुष्य की पहचान उसके बाहरी आचरण से नहीं अपितु उसके अन्दर के परिणामों से करो।‘ उसमें लिखा है कि “बाण सीधा होता है और तम्बूरा टेढ़ा लेकिन फिर भी बाण लोगों को मारता है और तम्बूरा लोगों के मन को आनंदित करता है। कई बार व्यवहार अच्छा दिखता है, पर भाव खराब होता है और कई बार भाव अच्छा होता है, व्यवहार खराब होता है तो व्यवहार पर ध्यान मत दो, भाव पर ध्यान दो।
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