शंका
इस भव से पार उतरने के लिए आत्मचिंतन कैसे करें?
समाधान
इस भव से पार उतरने के लिए संयम धारण करें और आत्मा के स्वरूप का बार-बार स्मरण करें। जो शास्त्रों में हमने पढ़ा है और गुरुओं के मुख से सुना है “मैं इस शरीर से भिन्न आत्म तत्त्व हूँँ। शुद्ध ज्ञाता- दृष्टा आत्मा हूँँ। चैतन्य स्वरूप हूँ, ज्ञान स्वरूप हूँ। सब प्रकार के राग-द्वेष, मोह से रहित हूँँ।” इस प्रकार की परिणीति का चिन्तन करने से आप अपनी आत्मा के स्वरूप में लीन होने की भूमिका पा सकते है।
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