हम भगवान को ‘तुम’ कह कर क्यों संबोधित करते हैं?

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शंका

लोक व्यवहार में उम्र में बड़े व्यक्ति को “तुम” कहकर नहीं बुलाते हैं लेकिन त्रिलोकीनाथ भगवान को हम लोग -“तुम न पिछान्यो”, “तुम बिन मैं व्याकुल भयो”- ऐसा क्यों कहते हैं?

समाधान

जब हमारा किसी से जुड़ाव बढ़ जाता है, तो भाषा गौण हो जाती है। हम “तुम” उसे कहते हैं जिसको हम अपना मानते हैं जिसके प्रति हमारा अधिकार होता है। भक्ति मनुष्य को अधिकार दे देती है, तो उसके आगे भाषा का सारा बन्धन टूट जाता है।

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