हम प्रतिवर्ष एक महिला सम्मेलन का आयोजन करते हैं और उसमें हजारों महिलाएँ जुड़ती हैं जो गृहणियाँ होती हैं। हमारे समाज की उच्च शिक्षा प्राप्त महिलाएँ जो अच्छे-अच्छे, ऊँचे-ऊँचे पदों पर आसीन हैं, वे ऐसे कार्यों में कम रुचि रखती हैं तो ऐसा क्या किया जाए कि उन लोगों को समाज में आगे लाया जाए और उनके अनुभवों का लाभ लिया जाए? कृपया मार्गदर्शन दीजिए।
जो महिलाएँ आज ऊँचे पदों पर बैठी हैं, उनसे कहा जाना चाहिए कि ऐसे सम्मेलनों में उनकी ज़्यादा जरूरत होती है और उनको भी ऐसे सम्मेलनों की ज़्यादा आवश्यकता है ताकि वे सामाजिक संस्कारों और सरोकारों को ठीक ढंग से समझ सकें और अपने जीवन में समाज और धर्म के लिए जो कुछ भी योगदान दिया जाना चाहिए, दे सकें। यह उनकी जरूरत है, यह बताया जाना चाहिए।
हर व्यक्ति को इस बात का एहसास कराने की आवश्यकता है कि आज हम जो कुछ भी हैं, हमारे इस जीवन के निर्माण में समाज का एक बहुत बड़ा योगदान है। यह समाज ही है जिसके कारण व्यक्ति अपराधी नहीं बनता, यह समाज ही है जिसके कारण व्यक्ति व्यभिचारी नहीं बनता, यह समाज ही है जिसके कारण व्यक्ति संस्कारी बन जाता है। तो जिस समाज ने तुम्हारे जीवन के निर्माण में इतनी बड़ी भूमिका अदा की, यदि तुम समर्थ हुए हो तो तुम्हारी यह ड्यूटी (कर्तव्य) है कि तुम उस समाज के निर्माण के लिए कुछ कार्य कर सको। यह प्रेरणा जब उनके मन में जगेगी, निश्चित रूप से उनका भी इस तरफ आकर्षण होगा।
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