जब बड़े लोगों को गुस्सा आता है, तो वह हमें डाँटते हैं, जब हमें गुस्सा आता तब भी डाँटते हैं। ऐसी स्थिति में हम क्या करें?
जब उनको गुस्सा आए तो झेलो और खुद को गुस्सा आए तो कंट्रोल करो!
मजबूत कौन बनता है? मजबूत वह बनता है जो सहन करता है। जब कोई बड़ा गुस्सा करता है, डाँटता है, तुम्हें तकलीफ होती है। उस समय बड़ों का प्रतिवाद करने की जगह मन में संकल्प जगाओ कि मैं कभी गुस्सा नहीं करूँगी। क्योंकि गुस्सा करने से स्वपर को तकलीफ होती है और जिससे तकलीफ हो वह कार्य मैं जीवन में कभी नहीं करूँगी। अगर ऐसी धारणा बनाओगे तो तुम्हारे गुस्से पर कंट्रोल होगा। बड़ों के गुस्से से उनके क्रोध से तुम अक्रोध की साधना कर सकते हो।
खुद को गुस्सा आए तो उसको शान्त करने की कोशिश करो। उस समय यह सोचो, “मेरे बड़े ने मुझ पर गुस्सा किया मुझे तकलीफ हुई। मैं गुस्सा करूँगी जिस पर गुस्सा उतारूँगी, उसको तकलीफ होगी और जितनी देर मैं गुस्से में रहूँगी मुझे तकलीफ होगी।”इस तरह से अपने गुस्से को कम करने का अभ्यास बनाओ। गुस्सा एक गुबार है, इसको निकालने का परिणाम हमेशा उल्टा होता है।
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