पूजा और अभिषेक से जीवन पवित्र कैसे बनता है? वीतरागता के दर्शन से पाप कैसे नष्ट होते हैं?
डाक्टर पी एन जैन, टाटा मेमोरियल केन्सर अस्पताल, मुंबई
भगवान के दर्शन से कर्मों की निर्जरा होती है, इसमें कोई संशय नही। यह गृहस्थ लोगों के लिए कर्म निर्जरा का यह एक श्रेष्ठतम उपाय है, परन्तु केवल दर्शन मात्र से नहीं बल्कि दर्शन करने के बाद यदि हृदय में विशुद्धता उत्पन्न होती है तब, यह हमारी पवित्रता है। सामान्य पवित्र क्रियाओं को करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पुण्य जीवन को पवित्र बनाता है। लेकिन भगवान की पूजा भक्ति करने से केवल पुण्य की ही प्राप्ति नहीं होती अपितु हमारे पापों का प्रक्षालन भी होता है।
अपने जीवन में केवल पुण्योपार्जन करना है, तो आप मानव सेवा करें; और पाप पुण्य से ऊपर उठना है, तो जिन उपासना करें। जनसेवा और जिनसेवा यह हमारी संस्कृति के अंग हैं। जब आप बाहर हैं तो जनसेवा करें और जब आप अन्दर हैं तो जिनसेवा से जिनउपासना और निज उपासना तक पहुँचने का प्रयास करें।
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