लोग आजकल खाना खाते हुए या शादी वगैरह में जूठन छोड़ते हैं तो उसका कोई पाप लगता है क्या?
जूठा छोड़ना बहुत बड़ा पाप है और जो जान बूझ करके खाने में जूठा छोड़ेगा वो भावी जन्म में जूठा खाने को मजबूर हो जाएगा। ऐसा पाप का काम कभी मत करना। आज तुम जूठा छोड़ रहे हो, अन्न को बर्बाद कर रहे हो, कल जूठा खाने की नौबत आ सकती है। इसलिए अपने जीवन को सम्भालो और ऐसा कार्य मत करो।
आप लोग गर्मी में चल के आते हैं, शरीर धूप में तपा होता है, खाने में बैठते हैं तो सोचते हैं कि “रूटीन डाइट (दैनिक चर्या) के अनुसार ले लेता हूँ, और थोड़ा ज़्यादा ले लो, चलना है”- उसके बाद खाया जाता नहीं है। जब आप चल कर आते हैं तो आपको अपनी डाइट का 70% लेना चाहिए। आपलोग देखते हैं, मैं ऊनोदर करता हूँ, क्यों? चल कर आए हैं, गाड़ी को ज़्यादा ईंधन दोगे तो गाड़ी गड़बड़ा जाएगी।
भोजन वेस्ट (बर्बाद) नहीं करना चाहिए। अन्न की बर्बादी बहुत बड़ा पाप है। हम उस देश में रह रहे हैं, जिस देश में अनेक लोग आज भी भूखे सोते हैं। ऐसे देश में अन्न को इस तरह से बर्बाद करना कतई उचित नहीं है। ये बहुत बड़ा अनर्थदण्ड है और अनर्थदण्ड का मतलब- अनर्थ भी है और दंड भी है, दोहरा पाप है।
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