भ्रष्टाचार के बिना काम नहीं चलता, क्या करें?

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शंका

हम लोग बिजनेस करते हैं, हमें सब को खुश रखना होता है। बहुत सारी ओर्गेनाइजेशन (संस्थाएँ) ऐसी हैं जहाँ पर बिना ‘कुछ’ करे, खुश नहीं किया जा सकता और उसके बिना काम भी नहीं होता तो क्या ये ठीक है? उसके बिना काम कर भी नहीं सकते?

अतिशय जैन, जयपुर

समाधान

ये आज का सिस्टम बन गया है। दो बातें हैं – एक है भ्रष्टाचार और एक आज कल बनाया  गया सुविधा शुल्क।

एक बार की बात है, मैं भोपाल में था। वहाँ मन्त्रालय के एक व्यक्ति सपत्नी मेरे पास आये और उन्होंने मुझ से कहा- “महाराज जी, आपसे हम बहुत प्रभावित हैं और आज से हम भ्रष्टाचार का त्याग करते हैं।” मैंने पूछा क्या करते हो? बोले- “मन्त्रालय में बाबू हूँ।” हमने कहा “तुम मन्त्रालय जैसे विभाग में रहते हुए भ्रष्टाचार का त्याग करना चाहते हो, निभ जाएगा?” बोले – “हाँ महाराज हमने बिल्कुल सोच लिया है, निभा लेंगें हम।” बहुत ख़ुशी की बात है, आशीर्वाद दिया तो तुरन्त बोला “महाराज, एक बात की छूट चाहते हैं। सुविधा शुल्क की छूट चाहिये।” मैंने पूछा- ये सुविधा शुल्क क्या है? बोला – “मैं ये संकल्प लेता हूँ कि कोई भी गैर कानूनी काम नहीं करूँगा लेकिन किसी का काम कोई दस चक्कर में करता है, मैं एक चक्कर में करूँगा तो दोनों की श्रम और शक्ति बचती है, तो इसके एवज में कोई कुछ दे तो उसको लेने की छूट रखता हूँ।” ये गली लोग निकालते हैं। 

ये एक विडम्बना हैं और ऐसी व्यवस्था के कारण ये समाज की विकृतियाँ बन गई हैं। समाज जब इससे बचेगा तभी समाज की भलाई हो पाएगी। एक तो भ्रष्टाचार होना और इस तरह की गलियाँ निकालना अनुकरणीय नहीं है, प्रशंसनीय नहीं है।

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