अतिशय क्षेत्र में होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों में लोग पवित्रता पर ध्यान नहीं देते हैं और एक दूसरे से लोग छू जाते हैं तो क्या उनको कोई पाप का बन्ध होता है?
भक्ति के अतिरेक में विवेक खोना ठीक नहीं! धर्म क्षेत्रों में भीड़ ज़्यादा होती है और भीड़ की अधिकता में लोग क्रिया को प्रमुखता दे देते हैं, उसकी शुद्धि का ध्यान नहीं रखते। शुद्धता का पूर्ण ध्यान रखना चाहिए। शुद्धि और विशुद्धि से ही अतिशय प्रकट होता है। विशुद्धि से भावातिशय होता है और शुद्धि से उस क्षेत्र की रिद्धि- सिद्धि बढ़ती है। पूजा-प्रक्षाल आदि की क्रियाओं में शुद्धि का पूर्णता ध्यान रखना चाहिए।
इतनी भीड़ में लोगों में दर्शन करने की इतनी तीव्र ललक होती है कि सबके विवेक खो जाते है। कम से कम जितनी देर भगवान का अभिषेक का कार्य संपन्न हो, स्त्री-पुरुष जो सोले में नहीं है, उन्हें एक सुरक्षित दूरी बनाकर के दर्शन करना चाहिए। आप घंटे भर बाद दर्शन कर लीजिए। आपके द्वारा छू जाने के बाद यदि कोई अभिषेक करता है तो आप भी दोषी है और जो करता वह भी दोषी है। आपके अविवेक के कारण अभिषेक से कोई दूर हो जाता है तो आप अन्तराय के भागी हैं क्योंकि एक व्यक्ति आपके कारण अभिषेक से वंचित हो गया।
हमेशा ध्यान रखना चाहिए और इस तरह से शेड्यूल बनाने का प्रयास करना चाहिए कि लोगों की शुद्धि भी पल जाए और किसी की भावनाओं को आघात न पहुंचे। जितना आप योग्य शुद्धि का पालन करोगे, आप का पुण्य उपार्जन उतना प्रगाढ़ होगा इसलिए यथासम्भव पालन करना चाहिए।
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