मेरे सामने कभी-कभी ऐसी स्थिति आती है कि मैं समझ नहीं पाती कि मुझे क्या करना चाहिए। जैन धर्म में भ्रूण हत्या को गलत माना गया है लेकिन कभी-कभी मेरे पास बहुत गरीब मरीज आते हैं- जैसे पति शराब पीता है या महीने की आय बहुत कम है-और पत्नी गर्भधारण कर लेती है, पहले से ही चार बच्चें हैं, वे गिड़ गिड़ाते हैं तो ऐसी स्थिति में मैं क्या करूँ?
शालिनी गुप्ता
इस स्थिति में भी किसी की हत्या करके आप अपने हाथ काले मत करो। उनको सुझाव दो, समझाओ- ‘तुम पहले से सावधान रहो, इस तरह की घटना न हो, थोड़ी और मेहनत मज़दूरी करो जो बच्चा आ रहा है शायद उसी के भाग्य से तुम्हारा जीवन का उत्थान हो जाए, लेकिन मारो नहीं। पिछले जन्म में तुमने किसी का बुरा किया है तभी आज इतनी दरिद्रता और दुर्गति पाई है और यह पाप करोगे तो न जाने क्या पाओगे।’ उनको अच्छी तरह से motivate (प्रेरित) करो, वह मान जाएँ तो ठीक, न मानें तो अपने आप को किनारे कर लो। किसी के प्रति संवेदना और सहानुभूति का मतलब यह नहीं कि हम किसी की हत्या करवा दें। हमारी अगर किसी के प्रति यथार्थ संवेदना है, सहानुभूति है, तो इतना कर सकते हैं कि उसकी परवरिश में कुछ सहयोग कर दें, यह एक अलग चीज है। लेकिन इस तरह के नकारात्मक सहयोग नहीं दें।
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