जब मुनि महाराज आते हैं तो उन पर पुष्प वर्षा की जाती है तो क्या यह सही है?
बिल्कुल नहीं करना चाहिए। मुनि महाराजों के ऊपर सचित्त पुष्पों की वर्षा करना घोर पाप है। मुनि महाराज जब घास पर भी नहीं चलते तो पुष्पों को क्या स्पर्श करेंगे। पुष्प में जीव होते हैं और उसकी पंखुड़ी में थोड़े बहुत नहीं,असंख्य जीव होते हैं। क्योंकि वनस्पतिकाय की जघन्य अवगाहना घना अंगुल के असंख्यातवें भाग हैं। हम तो उसका स्पर्श करेंगे तो भी दोष है। जैसे घास है वैसे ही फूल है। इसलिए मुनियों के ऊपर पुष्प की वर्षा करना, मुनियों के आवागमन में पुष्पों की पंक्ति बिछाना पाप का कार्य करना है। जितना पुण्य नहीं कमाओगे उससे ज़्यादा पाप कमा लोगे। अगर आपको करना ही है तो कृत्रिम पुष्पों की वर्षा कर सकते हो लेकिन सचित्त पुष्पों की वर्षा मुनि महाराजों के ऊपर करना या करवाना बहुत बड़ा पाप है। जीवन में कभी नहीं करना चाहिए।
Leave a Reply