मैंने रात को पापड़ खाया था, मुझसे गलती हो गयी, प्रायश्चित्त दे दीजिये।
याशी जैन, जयपुर
अपनी मम्मी को बोलो कि हमको अभी प्रायश्चित्त लेने के लिए खड़ा किया, यह आपकी गलती है, मेरी नहीं। पापड़ खाया था अब नहीं खाना।
यह इस बच्ची ने अपने मन से पूछा है कि आपकी मम्मी के कहने से पूछा?
बच्ची की माँ – इसने रात में पापड़ खा लिया था तो यह ऐसे बोल रही थी कि “महाराज जी को जाकर बोलूँगी कि रात को पापड़ खा लिया”।
महाराज जी – यह तो बहुत अच्छी बात है। इतनी कम उम्र में उसे अपराधबोध होना बहुत अच्छी बात है। पहले तो सब बच्चों को कहूँगा कि कोई भी नियम लो तो उसे तोड़ना नहीं। और उनके पेरेंट्स से कहना चाहता हूँँ कि बच्चे अगर कोई नियम ले तो उनके मनोबल को ऊँचा बनाओ। उनसे यह मत कहो कि “चलो बेटा, ये तो चलता है”। उससे बच्चों की निष्ठा कमजोर होती है। अब नहीं करना, यही प्रायश्चित्त है।
Leave a Reply