मेरा प्रश्न यह है कि दिगम्बर सन्त और श्वेतांबर सन्त में क्या अन्तर है?
श्वेतांबर और दिगम्बर में साफ अन्तर दिखता है। जो दिशाओं को अपना वस्त्र बनाते हैं वे दिगम्बर और जो कपड़े पहनते हैं वे श्वेताम्बर।आप लोग भी दिगम्बर कहलाते हो क्यों कि आप दिगम्बरत्व को मानते हो और जो दिगंबरत्व पर विश्वास रखता है वो दिगम्बर कहलाता है और जो वस्त्र, पात्र आदिक रखते हैं वो श्वेताम्बर कहलाते हैं। श्वेतांबर एवं दिगम्बर की मुनिचर्या में भी अन्तर है। जैसे-दिगम्बर मुनि निर्वस्त्र दिगम्बर होते हैं, हमेशा पदयात्रा करते हैं, केशलोंच करते हैं। 24 घंटे में एक ही बार भोजन-पानी खड़े होकर कर ही करपात्र में लेते हैं। श्वेतांबर साधु ऐसा नहीं करते, वे निर्वस्त्र नहीं होते। उनका एक बार भोजन ग्रहण करने का कोई विधान नहीं होता। वह बैठ करके भोजन लेते हैं एवं एक जगह नहीं अनेक जगह से भोजन लाकर भोजन को ग्रहण करते हैं और वह पात्र में भोजन करते हैं। उनके पास वस्त्र, पात्र आदि का परिग्रह होता है और दिगम्बर मुनि के पास पिच्छी, कमंडल और शास्त्र के अलावा कुछ भी यानि ‘तिल-तुष’ मात्र भी परिग्रह नहीं होता।
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