आज के आधुनिक युग में हमारे जैसे सभी बच्चों का मन मोबाइल की ओर ललचाता है, तो हम क्या करें?
सजल जैन, दमोह
हमारे यहाँ बड़ी पुरानी सूक्ति है “सुखार्थी चेत कुतो विद्या, विद्यार्थी चेत कुतो सुखं” सुख चाहिए या विद्या? विद्या। यह विद्यार्जन तुम लोगों के लिए एक तपस्या है और तपस्या में वही पारंगत हो पाता है जो अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहता है। तुम मोबाइल चाहोगे, मोबाइल तुम्हें मिल भी जाएगा लेकिन मोबाइल से तुम्हें फायदा कम नुकसान ज़्यादा होगा। दरअसल मोबाइल की जरूरत किसको है? मोबाइल का ईजाद एक आवश्यकता के आधार पर हुआ था। एक व्यक्ति एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा रहा हो और अचानक कोई परेशानी आ जाए, कोई प्रसंग ऐसा बन जाएँ तो उससे उसका सम्पर्क बना रहे, वह अपना सम्पर्क साध सके इसलिए मोबाइल का ईजाद हुआ। तब मोबाइल एक जरूरत थी अब मोबाइल जीवन का अंग बन गया। जब तुम लोगों का कहीं मूवमेंट ही नहीं है, तो मोबाइल की जरूरत क्या? महाराज, मोबाइल में बहुत सारे फीचर्स होते हैं पूरा इंटरनेट हैं, एनडराइट है, तो यह सब चीजें हैं। क्या ये तुम्हारे लिए अभी आवश्यक है? लग्जरी चीजों में अगर उलझोगे तो भटक जाओगे। अभी तुम्हारे लिए आवश्यक है पढ़ना, पढ़ना, पढ़ना केवल पढ़ना। पढ़-लिख कर के योग्य हो जाओगे तब मोबाइल क्या चाहे जो चीज का इस्तेमाल कर सकोगे। अभी करना उचित नहीं है इस घड़ी में अपने मन पर जितना संयम करोगे उतना ही समर्थ बनोगे।
Jai jinendra..