शंका
मेरी बेटी अभी पाठशाला जाती है, तो उसमें संस्कार हैं; बस आगे भी वह निरन्तर रखे, अभी कॉलेज में चली जाएगी तो आपका आशीर्वाद चाहिए?
समाधान
इतना ही कहूँगा कि संगति को संस्कारों पर हावी मत होने देना। जो संस्कार हैं, उनको अपने जीवन की मूल नीति बनाना, यही जीवन में काम आएगा। तुमने जो पढ़ा है, सीखा है, उसके साथ सब के बीच रहो; पर अपने आपको अपनी बाउंड्री से बाहर मत निकलने देना। हमारी जीवन की कुछ सीमाएँ होती है, वह लक्ष्मण रेखा है, उसका उल्लंघन कतई नहीं करना चाहिए।
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