हमारे जीवन में हम कभी-कभी ऐसे दोराहे पर खड़े होते हैं जहाँ से दोनों मार्ग अपनी-अपनी जगह सही होते हैं, कहीं हमें कुछ मिलता है, तो कुछ छूट भी जाता है। अगर हम दोनों मार्गों में से एक का चुनाव करते हैं तो किसी न किसी को दुखी भी कर सकते हैं। हमारे मार्गदर्शक अगर सामने न हों तो ऐसी स्थिति में हमें मार्ग का चुनाव करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। कृपया मार्गदर्शन दीजिए कि कौन सा रास्ता चुनें?
ऐसी घड़ी में जब हमारे पास कोई दूसरा मार्गदर्शक न हो तो मैं कहूँगा, रास्ता तो एक ही चलना है, दोनों रास्तों पर चल पाना तो सम्भव है ही नहीं और स्वाभाविक है कि एक रास्ते पर चलेंगे तो दूसरा विकल्प छूटेगा ही। हमारे लिए जब दोनों विकल्प समान महत्त्व के दिख रहे हैं तो मार्ग चयन में दुविधा दिखती है। जब कोई मैच tie (टाई/ समान/ बरावर) हो जाता है, तब क्या किया जाता है, toss (टॉस) करके देख लिया जाता है कि क्या सही है और क्या गलत है, टॉस किया और जो निर्णय हुआ वह ले लिया। मैं आपको टॉस करने की सलाह तो नहीं दूँगा पर एक दूसरे प्रकार की बात जरूर करूँगा। यदि आपने अपने प्रभु को, अपने गुरु को हृदय में बिठाया हो, तो ऐसी घड़ी में उन्हें याद करो और उनसे पूछो, जो प्रेरणा मिले उसे आँख बंद करके स्वीकार लो। जीवन में कभी विफल नहीं होगे, तुम्हें अपने निर्णय पर कभी पछतावा नहीं होगा और निर्णय लेने में भी दुविधा नहीं होगी।
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