जैन इतिहास में त्रेसठ (63) शलाका पुरुष का क्या महत्त्व है। क्या ये सभी मंगलकारी होते है?
शलाका का मतलब होता है गणनीय पुरुष! वे महापुरुष जो सब प्रकार के सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक चेतना के विकास में अपना महत्त्व पूर्ण योगदान देते हैं और मानव सभ्यता के सूत्रधार बनते हैं। जिनका सभ्यता और समाज के विकास में कोई न कोई योगदान होता है उन्हें शलाका पुरुष कहते हैं। ऐसे शलाका पुरुषों की संख्या तिरेसठ (63) ही होती है। यह एक नियोग रुप संख्या है। आप पूछेंगे कि “63 ही क्यों? 62 और 64 क्यों नहीं?” तो मैं आपसे सवाल करूँगा कि “आप के दो ही कान क्यों हैं, 3 या 1 क्यों नहीं?” इसका कोई उत्तर नहीं है, वह है, इसलिए है।
फिर दूसरी तरफ से देखें तो 63 की संख्या हमें एक बहुत बड़ा संदेश देती है। 6 और 3 दोनों आमने-सामने होते हैं, यानी दोनों एक दूसरे को गले लगाने के लिए तत्पर होते हैं। इसलिए तिरेसठ का वह सम्बन्ध बन जाता है, समझ गए। इसके विरुद्ध 36, जिसमें तीन और छह एक दूसरे को पीठ दिखाते हैं तो 36 का आँकड़ा संसार का आँकड़ा होता है। तिरेसठ का सम्बन्ध परमार्थ का सम्बन्ध होता है। इसलिए 63 शलाका पुरुष होते हैं। जितने भी 63 शलाका पुरुष होते हैं महान आत्माएँ होती है, भव्य जीव होते हैं। उनमें से कुछ उसी भव में और कुछ भावान्तर में मोक्ष जाते हैं।
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