सभी कहते हैं कि “जो हमें मिलता है वह हमारा भाग्य है” क्या हम अपने भाग्य को बदल सकते हैं और यदि बदल सकते हैं तो कैसे?
बिल्कुल! जो हमें मिलता है वह हमारा भाग्य है। जब हम ही भाग्य बनाते हैं तो भाग्य बदलने वाले भी हम ही है। जो हमें मिले वो हमारा भाग्य है और हम उसमें कुछ अच्छा प्रयास करें तो वह हमारा सौभाग्य है।
उदाहरण के तौर पर, आपको यहाँ प्रश्न करने का मौका मिला, आपका भाग्य है या नहीं? “हाँ। महाराज आपके पास आने का मौका मिला, यही मेरा भाग्य है और यहाँ आकर के इस सभा में आ गया, यह मेरा सौभाग्य है, प्रश्न कर लिया है मेरा महाभाग्य है।” यहाँ आने के बाद अगर तुम चुपचाप बैठे रहते, अपना नाम नहीं देते हैं या नंबर नहीं आता या नंबर आते-आते समय पूरा हो जाता तो क्या होता? भाग्य धरा रह जाता। भाग्य बनता भी है भाग्य बदलता भी है, हम भाग्य पर विश्वास करें पर केवल भाग्य भरोसे बैठकर न रहें, भाग्य को सुधारने की कोशिश करें। कहते हैं कि व्यक्ति के जीवन में उसकी कर्म की रेखाएँ बदलती हैं, औरों के बारे में मैं नहीं जानता, मैंने अपने हाथ की लकीरों को बदलते हुए देखा है और हमारी लकीरें बदलें तो जीवन में बदलाव आता है।
मैं जब छोटा था तो किसी पंडित ने कह दिया था कि लड़का घर से भाग जाएगा। अब मुझे समझ में आता है कि काश मैं उस समय थोड़ा समझदारी रखता तो पूछता “भाग जाएगा कि जाग जाएगा।” मैं भागा नहीं हूँ, मैं जागा हूँ, सब को जगा रहा हूँ। भाग्य परिवर्तित होता है इसमें कोई संशय नहीं है।
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