प्रोफेशनल लाइफ में धर्म कैसे करें?

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शंका

प्रोफेशनल लाइफ में जैन धर्म का पालन कैसे करें? मन्दिर बहुत दूर होते हैं और ऑफिस टाइमिंग भी अलग टाइम पर होता है, प्रोफेशनल लाइफ में फ्रस्ट्रेशन से बचने का क्या उपाय है?

शुभेन्द्र जैन, बैंगलोर, कर्नाटक

समाधान

प्रोफेशनल लाइफ में धार्मिक क्रिया करने में निश्चित रूप से आज की भागमभाग की जिंदगी में कठिनाई होती है। कठिनाई है पर असम्भव नहीं। हाँ, थोड़ा सा अपनी परिस्थितियों के अनुरूप धर्म ध्यान के तरीके में परिवर्तन किया जा सकता है। अगर आपको अपने ऑफिस जाने की बाध्यता है, दूरी है, समय का अभाव है, तो घर से ऑफिस का सफर आप 1 घंटे में पूरा करते हैं, आप तय कर लें जब तक मैं ऑफिस नहीं पहुँचूंगा मौन से रहूँगा और णमोकार जपूँगा आपका धर्म ध्यान हो जाएगा। घर का काम कर रहे हैं, जितने देर मैं रसोई में रहूँगी उतनी देर णमोकार जपूँगी, धर्म ध्यान होगा कि नहीं होगा?
कोई जरूरी नहीं है कि धर्म ध्यान करने के लिए हम मन्दिर जाएँ। मन्दिर जाने पर विशेष धर्म ध्यान होता है। कोशिश करना चाहिए लेकिन यदि नहीं जा सके तो क्या करें? नहीं तो आप लोग उल्टा अर्थ न ले लो कि महाराज ने कहा मन्दिर जाने की जरूरत नहीं, घर में धर्म ध्यान करो, तो कल से मन्दिर जाना भी बंद कर दो। मैं इसलिए नहीं बोल रहा हूँ। मेरा कहने का आशय केवल यह है कि आप अपने धर्म ध्यान के तरीके में परिवर्तन कर लें। मनुष्य की व्यस्तता धर्म ध्यान में बाधा नहीं होती, उसका प्रोफेशन धर्म ध्यान में बाधक नहीं होता। अगर धर्म ध्यान में कोई सबसे बड़ी बाधा है, तो वो है ‘निष्ठा की दुर्बलता’। तुम्हारे मन में निष्ठा होगी तो तुम अपने जीवन के किसी भी क्षेत्र में रहोगे किसी न किसी रूप में धर्म ध्यान अपना कर ही लोगे। कोई बहाने की बात नहीं होगी। लेकिन निष्ठा कमजोर होगी तो तुम्हारे घर के बगल में मन्दिर हो तो भी मन्दिर जाने में तुम्हें तकलीफ होगी। जिस दिन छुट्टी हो उस दिन अपनी बैटरी को फुल चार्ज कर लो, उस दिन कोई कोर कसर मत छोड़ो। जैसी अनुकूलता है उसके अनुरूप धर्म ध्यान करो।
पहला संकल्प लो, मैं जितना धर्म ध्यान करूँ सो करूँ, अधर्म न करूँ। भगवान ने मुझे जो करने के लिए कहा है वह मैं नहीं करूँ मुझे हर्ज नहीं, लेकिन भगवान ने जिन बातों को न करने का निर्देश दिया उसे तो मैं प्राण जाने पर भी नहीं करूँगा। यदि इतना कर लिया तो मनुष्य का जीवन सफल होगा। आप लोग सड़क पर चलते हैं रेड सिग्नल भी होते हैं और ग्रीन सिग्नल भी होते हैं। ग्रीन सिग्नल किस बात को दर्शाता है, आप गाड़ी बेखटक बढ़ा सकते हैं और रेड सिग्नल- गाड़ी को रोकने का। ग्रीन सिग्नल हो और आप गाड़ी रोकके खड़े हैं, कोई दिक्कत नहीं लेकिन रेड सिग्नल हो और गाड़ी बढ़ा दो तो खतरा है। चालान भी होगा, एक्सीडेंट भी हो सकता है। तो बस भगवान ने हमारे लिए कुछ बातें बताई हैं करने की और कुछ बातें कही हैं नहीं करने की। करने योग्य कार्य करो बहुत अच्छी बात है लेकिन अगर ऐसा नहीं कर सकते, तो जो नहीं करने योग्य कार्य है वह तो कम से कम मत करो। कोई भी कैसे भी प्रोफेशन लाइफ को जी रहा है भगवान ने हमारे लिए मद्य, माँस, मधु के त्याग की बात कही है, व्यसन मुक्त जीवन जीने की बात की है, सदाचार और संस्कारपरक जीवन जीने की बात की। आप उसे अपनायें और भावनात्मक रूप से जितना धर्म ध्यान कर सके, करें। क्रियात्मक रूप से जब अवसर मिले तब करें, अपनी आय का एक निश्चित हिस्सा दान में लगायें, परोपकार की वृत्ति को अपनायें, अपने चित्त को संवेदनशील बनायें, पंच परमेष्ठी के प्रति अपना अनुराग बढ़ा कर रखें। यह धर्म ध्यान करने का एक अच्छा रास्ता है।
प्रोफेशनल लाइफ में फ्रस्ट्रेशन से बचने का सीधा सरल उपाय है, थोड़ी देर ध्यान करें। रोज ध्यान का अभ्यास करें, आप की काम करने की क्षमता बढ़ेगी और आप फ्रस्ट्रेशन से भी बचेंगे।

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