सजग हो जाएं। ये शरीर नश्वर है। इसका मिटना तय है। एक दिन ये शरीर हमारे कर्मो के साथ राख में मिल जाएगा और बचेगा तो कर्म और शरीर से रहित शुद्ध-बुद्ध अविनाशी तत्व। यही तत्व ज्ञाता और दृष्टा है। हमें इसी तत्व का ध्यान करना है।
अपने नाभि पर ध्यान लगाएं। महसूस करें, नाभि पर सोलह पंखुड़ियों का कमल खिल रहा है। हर एक पंखुड़ियों पर एक स्वर, एक बीजाक्षर जो हमारे कर्मो के क्षय में सहायक होंगे। देखिए कमल के हर एक पंखुड़ियों पर, एक स्वर बीजाक्षर की वर्गणाएं देखें। धीरे धीरे हृदय के ऊपर अष्ट पंखुड़ियों का कमल बनता देखें। हर कमल की पंखुड़ी में हृदय में भरे कर्मो को, कषायों को देखें। महसूस करें कि नाभि पर बैठे बीजाक्षर से युक्त कमल से अग्नि उत्पन्न हो रही है। अग्नि की लौ से धीरे धीरे अपने हृदय पर स्थापित कषायों, कर्मो के कमल को एक-एक करके भस्म करता महसूस करे। महसूस करे धीरे धीरे ये अग्नि पूरे शरीर को ढक रही। पूरा शरीर इस अग्नि की लौ से भरा महसूस करें।
मानो पूरा शरीर जल रहा हो। देखे धीरे- धीरे ये नश्वर शरीर राख में बदल रहा है। महसूस करे अपने शरीर को राख में बदलता महसूस करे। देखें ये राख सच्चाई है इस शरीर की। हम सबको एक दिन राख में मिल जाना है। धीरे धीरे अग्नि को बुझता देखें। देखें कुछ बचेगा तो सिर्फ राख। महसूस करे हवा के बहुत तेज झौंके को इस राख को अपने साथ उड़ाते ले जाएंगे। यही सच्चाई है। हमारा अपना तो शरीर भी नहीं है। हवा का एक झोखा राख रूपी शरीर को पूरे ब्रह्माण्ड में फैला देता है। घनघोर बादलों को बनता देखे। घनघोर घटाएं बरसता हुआ महसूस करे जो तुम्हरे होने के आखरी बचे कूचे राख रूपी तत्व को भी अपने साथ ले जाएगी और रहे जाएगा तो बस ये शुद्ध-बुद्ध, कर्मो से रहित अविनाशी तत्व। यही सच्चाई है। इसी तत्व का चिंतन करे। यही तत्व ज्ञाता है। यही तत्व दृष्टा है।
Namostu Gurudev,
aapke bataye huye is dhyan ko mein 15 din se kar raha hu kafi fark mahsoos kar rha hu bahut hi achcha hai meditation ke liye iske sath hi me apke dwara bataye huye bhawna yog ko bhi karta hu isse bhi bahut adhik labh ho raha hai mein pura din energy mehssos karta hu aur tension free rahta hu, mind peaceful rahta hai. aapka bahut bahut dhanyawad gurudev.