हताशा से बचने का उपाय(Depression)
जब भी मन में हताशा के बादल छाने लगे हमें अपने आप को स्थिर रखना चाहिए, इनसे प्रभावित नहीं होना चाहिए। कुछ उपाय –
- जब हमें ऐसा लगे कि हम चारों तरफ से एक दम असहाय से होने लगे हैं तो सबसे पहले हमें थोड़ा सकारात्मक सोचना शुरू करना चाहिए और ये देखना चाहिए कि औरों की तुलना में हम कितने बेहतर हैं। जैसी स्थिति हमारी है, हम से भी गये बीते लोग हैं। अगर हम उनको देखेगें तो हम महसूस करेगें कि औरों की अपेक्षा में हम बहुत अच्छे हैं।
- ऐसे व्यक्तियों के जीवन को देखना चाहिए जो हम से भी ज्यादा विषम परिस्थितियों के दौर से गुजरें हो, जिन्होंने हम से भी ज्यादा मुश्किलों का सामना किया हो और उन परिस्थितियों को पार करके अपनी मंजिल तक पहुँचे हों। उनसे प्रेरणा ले कि वो सब कुछ खो कर भी अपनी मंजिल तक पहुँच सकते हैं तो हमारे पास तो अभी बहुत कुछ बचा है। हम भी अपने मुकाम को प्राप्त कर लेगें, हमें कोई कठिनाई नहीं होगी।
- हमें अपने मन को आशावादी रखना चाहिए, अपनी सोच को सकारात्मक बनाना चाहिए। हताश नहीं होना चाहिए, ये नहीं सोचना चाहिए कि अब सब खत्म हो गया बल्कि ये समझ कर चलना चाहिए कि रात के बाद ही प्रभात होती है और रात कितनी भी लम्बी हो पर शाश्वत नहीं होती। हमारे जीवन में कैसी भी विषमता आने पर हमें कर्म सिद्धान्त पर भरोसा रखना चाहिए। ये सोचना चाहिए कि थोड़े समय की बात है, सब ठीक हो जायेगा। अगर ये बात हमारे ज़हन में उतर गई तो इससे हमारे हदृय में धैर्य उत्पन्न होगा और वह धैर्य हमारी शक्तियों को विखण्ड़ित नहीं होने देगा, हमें सम्बल देगा, नकारात्मकता से बचाएगा, हमारे आत्मविश्वास वृद्धि में सहायक बनेगा।अगर हमने अपने आत्मविश्वास को सुरक्षित रखा तो हम सब कुछ खो कर भी सब कुछ पा जायेगें।
Edited by Ruchi Jain, Shikohabad
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