उत्तम आकिंचन धर्म
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आत्मा के अपने गुणों के सिवाय जगत में अपनी अन्य कोई भी वस्तु नहीं है इस दृष्टि से आत्मा अकिंचन है। अकिंचन रूप आत्मा-परिणति को आकिंचन करते हैं। जीव संसार में मोहवश जगत के सब जड़ चेतन पदार्थों को अपनाता है, किसी के पिता, माता, भाई, बहिन, पुत्र, पति, पत्नी, मित्र आदि के विविध सम्बंध जोड़कर ममता करता है।
उत्तम प्रवचन
उत्तम अकिंचन धर्म- परिग्रह को त्यागो
उत्तम आकिंचन्य | मंगल प्रवचन | मुनि प्रमाणसागर जी
उत्तम सूक्तियाँ
- धन-वैभव जड़ है, गुण-वैभव चेतन है, जड़ नश्वर है और चेतन शाश्वत। नश्वर के मोह में शाश्वत की बलि चढ़ाना बहुत बड़ी भूल है ।