जैन धर्म अनुसार दूसरों के लिए की गई प्रार्थना कैसे प्रभाव डालती है?
अगर हम किसी के लिए प्रार्थना कर रहे हैं, पूजा कर रहे हैं, अच्छे भाव रखें तो उसका असर उस पर पड़ता है। आप यह पूछ सकते हैं कि क्यों पड़ता है? क्योंकि हर जीव तो अपने अपने कर्म का कर्ता है। मैं प्रार्थना करूँ तो असर उस पर क्यों पड़ेगा?
मैं आपको बताता हूँ। आज से ५० साल पहले यह प्रश्न पूछा गया होता तो शायद इसका उत्तर नहीं दिया जा सकता; पर आज इसका उत्तर बहुत अच्छे से दिया जा सकता है।
हर जीव अपने अपने कर्म के फल को भोगता है, यह अकाट्य सिद्धांत है। और हमारा कर्म द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव के आश्रय से अपना फल देता है। जैसा प्रसंग, जैसा परिवेश, और जैसा पर्यावरण, कर्म का फल वैसा होता है। अगर मेरे अशुभ कर्म का उदय है, अशुभ वातावरण उसमें कारण बन रहा है और उसके कारण अशुभ वातावरण में द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव चारों हैं। हो सकता है मेरे इर्द-गिर्द जो निगेटीव एनर्जी है, वह भी मेरे उस विपत्ति, बीमारी आदि को बढ़ाने में विशेष कारण बनेगी। वह निगेटीव एनर्जी हमारे भीतर के रसायनों को प्रभावित कर रही है और उसके प्रभाव से हमारे अंदर के जो निगेटिव कर्म है जो ज्यादा उभर रहे हैं। आपने किसी के लिए प्रार्थना की, आपने किसी के लिए जाप किया, आपने किसी के लिए अच्छी भावना भायी, तो क्या किया? आपने उसके लिए पॉजिटिव तरंगें भेजी, आपकी ऊर्जा की तरंगें गई उसके पास। शब्द की गति बहुत तेज होती है। आगम के विधान अनुसार एक समय में परमाणु लोक के एक छोर से दूसरे छोर तक १४ राजु तक जा सकता है। और दो समय में शब्द १४ राजु पार कर सकता है। इतनी तेज गति है शब्द की!
तो कोई व्यक्ति लंदन में बैठा है और वहाँ बैठ कर आपके लिए अच्छी भावना दिल से भा रहा है तो बहुत सारी पॉजिटिव तरंगों को आपके लिए भेज सकता है। और वह पॉजिटिव waves आपने absorb कर लिया तो आपकी जो नकारात्मकता है वह कम होगी। अगर नकारात्मकता कम होगी, तो उसका आपकी सेहत पर प्रभाव होगा। सेहत पर प्रभाव क्यों होगा? नकारात्मकता कम हुई तो जो निगेटिव flow वाले हमारे कर्म थे उन पर रोक लगेगी। अंदर से जो पॉजिटिव है वह प्रगट होने लगेगी। शास्त्र की भाषा में, असाता पर विराम होगा और साता का आविर्भाव होगा, आपके स्वास्थ्य में लाभ होगा। विज्ञान ने इस बात को सिद्ध कर दिया, प्रार्थना और पूजा से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर बहुत ज़बरदस्त असर पड़ता है। आपको एक बात बताऊँ, अमेरिका में १२५ मेडिकल यूनिवर्सिटीज हैं, उस में पच्चासी के कोर्स में प्रार्थना है। और बहुत सारे चिकित्सक अपने prescription में प्रार्थना लिखने लगे हैं। यह विज्ञान से सिद्ध बात है और कोई भी गलत बात नहीं, जैन धर्म इसे पूरी तरह से स्वीकार करता है।
Leave a Reply