मिथ्यात्व की सटीक परिभाषा और उसका निवारण!
मिथ्यात्व हमारे जीवन का सबसे बड़ा शत्रु है। संसार का मूल ही मिथ्यात्व है और जब तक मिथ्यात्व है तब तक संसार है। मिथ्या का मतलब होता है ‘झूठा’, झूठी धारणा का नाम मिथ्यात्व है। जो वस्तु जैसी है उससे उल्टा मानना मिथ्यात्व है। देव के विषय में, तत्त्व के विषय में, गुरु के विषय में जो भ्रान्तियाँ हैं, वो सब मिथ्यात्व है। अदेव में देव बुद्धि, अधर्म में धर्म बुद्धि, अगुरु में गुरु बुद्धि, अतत्व में तत्त्व बुद्धि यह सब मिथ्यात्व है। शरीर में आत्मा की बुद्धि रखना भी मिथ्यात्व की एक पहचान है।
जब तक मनुष्य के हृदय से ऐसी धारणा नहीं बदलती तब तक वो सम्यक् दृष्टि नहीं हो सकता। तो सम्यक् दृष्टि बनने का सबसे सरल उपाय है कि सच्चे देव, शास्त्र और गुरु के प्रति श्रद्धा रखें और अन्यों की पूजा-उपासना से अपने आप को दूर रखें। साथ में आत्मा के स्वरुप का निरन्तर स्मरण रखें, चिंतन करें, अभ्यास करें। हो सकता है व्यक्ति के जीवन में सम्यक् दर्शन प्रकट हो जाए, उसके भीतर का मिथ्यात्व भी नष्ट हो जाए।
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