प्रतिक्रमण का सही तरीका
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प्रतिक्रमण का सही तरीका Right way of Pratikraman र्वकृत दोषों का मन, वचन, काय से कृत कारित, अनुमोदना से विमोचन करना पश्चाताप करना, प्रतिक्रमण कहलाता है इससे अनात्मभाव विल्य होकर आत्म भाव की जागृति होती है प्रमाद जन्य दोषों से निवृति होकर आत्मस्वरूप में स्थिरता की क्रिया को भी प्रतिक्रमण कहते हैं। Share

मुनि प्रमाण सागर जी का धर्म बचाओ आंदोलन
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मुनि प्रमाण सागर जी का धर्म बचाओ आंदोलन Dharma Bachao Andolan राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा जैन धर्म में होने वाली संथारा-संलेखना प्रथा को आत्मदाह की श्रेणी में रखकर रोक लगाने से समाज के लोग आक्रोशित थे। पूरे देश के जैन समाज ने 24 अगस्त 2015 को धर्म बचाओ आंदोलन करने का निर्णय लिया है। जिसमे इस…

अपेक्षा है भ्रष्टाचार का कारण
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अपेक्षा है भ्रष्टाचार का कारण Expectation is cause of corruption मनुष्य के हृदय में असंतोष का भाव जाग्रत होना अथवा संतोष की अपरिपक्वता ही लालच का प्रतीक है। असंतोष के कारण उत्पन्न लालच का भाव ही बुराई के मार्ग पर खिंच लाता है और अनवरत उसे भ्रष्टाचार की ओर खींचता है। सुनिए मुनि श्री प्रमाण…

उत्तम सोच का प्रभाव
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उत्तम सोच का प्रभाव Impact of correct thinking सकारात्मक सोच से चाहे कार्यक्षेत्र की समस्याएं हों या पारिवारिक परेशानी, हर जगह सफलता पाना संभव है। सकारात्मक दृष्टिकोण और आत्मविश्वास के बलबूते पर हर काम किया जा सकता है। विचारों की संगति का प्रभाव जीवन की उन्नति पर पड़ता है। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा…

प्रत्याखान क्या है?
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प्रत्याखान क्या है? What is Pratyakhyan? Share

मनोबल मजबूत रखें, कहीं झुकना न पड़े
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मनोबल मजबूत रखें, कहीं झुकना न पड़े मानसिक रूप से मजबूत रहना बहुत ही जरूरी है क्योंकि इससे कोई भी मनुष्य सही मार्ग का चयन कर सकता है । मानसिक रूप से मजबूत न होने पर लोग अपने कार्य को कभी भी सही तरीके से पूरा नहीं कर सकते और सफलता प्राप्त नहीं कर सकते…

मन्त्र जाप के प्रभाव / दुष्प्रभाव
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मन्त्र जाप के प्रभाव / दुष्प्रभाव Impact of reciting Mantra किसी मंत्र का जब जप होता है, तब अव्यक्त चेतना पर उसका प्रभाव पड़ता है। मंत्र में एक लय होती है, उस मंत्र ध्वनि का प्रभाव अव्यक्त चेतना को स्पन्दित करता है। मंत्र जप से मस्तिष्क की सभी नसों में चैतन्यता का प्रादुर्भाव होने लगता…

दूसरो के शोषण से खुद का पोषण नहीं
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दूसरो के शोषण से खुद का पोषण नहीं Do not nourish yourself by exploiting others वह अधिक से अधिक धन चाहता है, वैभव चाहता है,वह दूसरो पर शासन चाहता है । इस मनो कामना की पूर्ति के लिये दूसरो का शोषण करता है । परन्तु क्या दुसरो के शोषण से खुद के काम बनाना सही…

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