ब्रह्मचर्य और उपवास का अर्थ
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ब्रह्मचर्य और उपवास का अर्थ Meaning of Brahmcharya and Upwaas “आत्मो उपलब्धि के लिए किया जाने वाला आचरण ब्रह्मचर्य , जाने गुरुदेव मुनि श्री प्रमाण सागर जी द्वारा उपवास और ब्रह्मचर्य का अर्थ “ Share

स्व संवेदन को कैसे मापें?
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स्व संवेदन को कैसे मापें? How to measure self sensitivity? “व्यक्ति अपना संवेदन खुद कर सकता है, लेकिन इसे करने के लिए व्यक्ति को क्या करना चाहिए जाने मुनि श्री प्रमाण सागर जी के विचार “ Share

दान में बोली हुई राशी को विलम्ब से देना उचित?
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दान में बोली हुई राशी को विलम्ब से देना उचित? Delay in giving the commited amount for donation. “दान देने की भावना हम सभी के अंदर होती है पर हम लोग दान की राशी बोलकर उसको विलम्ब से देते है क्या ऐसा करना उचित है , इसके क्या परिणाम हो सकते है – सुनिए मुनि…

विद्यालय की विद्या और धार्मिक विद्या में अंतर।
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विद्यालय की विद्या और धार्मिक विद्या में अंतर। Difference between schooling and spiritual education. “आज के युग में विद्यालय की विद्या और धार्मिक विद्या में व्यापक अंतर देखा जाता है, जंहा पहले धार्मिक विद्या और लौकिक विद्या में समानताएं थी- सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर जी की मंगल वाणी द्वारा “ Share

लड़कियां अपने चरित्र की रक्षा कैसे करें?
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लड़कियां अपने चरित्र की रक्षा कैसे करें? How girls save thier dignity? “चरित्र की रक्षा किसी अन्य धन की रक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण है। चरित्र के बिना व्यक्ति का जीवन वैसा ही है जैसे बिना रीढ़ की हड्डी के शरीर होता है , प्राय आज देखा जा रहा है की युवतियों में अपने चरित्र की…

धर्म का स्वरूप
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धर्म का स्वरूप Nature of Dharma “धर्म का अर्थ क्या है? क्या सर पूजा-पाठ अथवा साधना-उपासना करना धर्म है – जानिये मुनि श्री प्रमाण सागर जी द्वारा धर्म का स्वरुप “ Share

धर्म हेतु मंदिर उत्तम स्थान क्यों?
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धर्म हेतु मंदिर उत्तम स्थान क्यों? Why temple for Dharma? “धर्म हेतु उत्तम स्थान क्या है? धर्म मंदिर में ही किया जा सकता है या अन्य किसी स्थान पर भी – जाने मुनि श्री प्रमाण सागर जी द्वारा “ Share

मृत्यु भोज और ब्राह्मण भोज
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मृत्यु भोज और ब्राह्मण भोज Death banquet and Brahmin banquet “मृत्यु भोज और ब्राह्मण भोज सबके अपने अपने तर्क है कई विद्वानों का मानना है की यह एक सामाजिक बुरे है इसे बंद किया जाना चाहिए , आज के हालातों पर नज़र डाले तो आज यह एक बड़ी बुराई बन चुका है – जानिये मुनि…

मन्दिर के द्रव्य के उपयोग का फल
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मन्दिर के द्रव्य के उपयोग का फल Utilising temple’s things “मन्दिर प्रतिष्ठा जिनेन्द्र—पूजा, जिनयात्रा, रथोत्सव और जिनशासन के आयतनों की रक्षा के लिए प्रदान किये गये दान को जो मनुष्य लोभवश ग्रहण करते हैं अर्थात् उस द्रव्य से भविष्य में होने वाले धर्मकार्य का विध्वंस कर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं, वे मनुष्य नरकगामी होते…

पुण्य का प्रभाव
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पुण्य का प्रभाव Effects of punya. “पुण्य अच्छे कर्मों का फल है, जिनके कारण हम सुख अनुभव करते हैं। पुण्य की मात्रा के अनुपात में व्यक्ति को पृथ्वी पर उतना सुख मिलता है। पुण्य का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव होता है सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर जी द्वारा “ Share

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