वृद्धावस्था
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वृद्धावस्था Old age वृद्धावस्था या बुढापा जीवन की उस अवस्था को कहते हैं जिसमें उम्र मानव जीवन की औसत काल के समीप या उससे अधिक हो जाती है। वृद्ध लोगों को रोग लगने की अधिक सम्भावना होती है। उनकी समस्याएं भी अलग होती हैं। वृद्धावस्था एक धीरे-धीरे आने वाली अवस्था है जो कि स्वभाविक व…

मन्दिर जाने के लिए दृढ़ संकल्पित कैसे होयें?
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मन्दिर जाने के लिए दृढ़ संकल्पित कैसे होयें? Increase determination to go to temple “सभी लोगो के मंदिर जाने के भाव होते हैं परंतु मंदिर जाने के प्रति हर कोई दृढ़ संकल्पित नहीं हो पाता, हम ऐसा क्या करें की हम मन्दिर जाने के लिए दृढ़ संकल्पित हो जायें – मुनि श्री प्रमाण सागर जी…

गुणायतन की प्रतिमा कहाँ से आई है?
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गुणायतन की प्रतिमा कहाँ से आई है? Source of idols for Gunayatan गुणायतन मन्दिर में जो प्रतिमाएं विराजमान है, उनमें से कुछ पुरानी है तो यह कहाँ से आई है। बतला रहे हैं मुनि श्री। Share

कुण्डली मिलाना उचित? Is Horoscope matching justified?
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कुण्डली मिलाना उचित? Is Horoscope matching justified? “योग्य जीवनसाथी की तलाश के लिए आज के युग में भावी दंपत्ति की कुंडलियों का मिलान करना क्या उचित है? क्या कुंडलियों के मिलान से दाम्पत्य सुख की सुनिश्चितता की जा सकती है? सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर जी के विचार। “ Share

व्यस्त व अर्थप्रधान युग मे धर्म आराधन कैसे करें
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व्यस्त व अर्थप्रधान युग मे धर्म आराधन कैसे करें Ways to follow religion in contemporary times आज का युग अति व्यस्त है व्यक्ति धनउपार्जन के कार्यों में इतना व्यस्त रहता है की उसके पास धर्म आराधना करने के लिए समय नही होता। कैसे व्यक्ति व्यस्त व अर्थप्रधान युग मे धर्म आराधन कर सकता है बता…

जैन समाज में अनुशासन की कमी को कैसे दूर करें?
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जैन समाज में अनुशासन की कमी को कैसे दूर करें? How to make Jain community disciplined जैन समाज में किसी भी आयोजन या कार्यक्रम में अनुशासन की कमी नजर आती है। सामाजिक संगठन भी उतने सक्रिय नजर नहीं आते। इन्हें प्रोफैशनल बनाने के लिए क्या करें? और समाज को अनुशासित कैसे करें, उपाय मुनि श्री…

वृद्धावस्था में धर्म और परिवार में कैसे सामंजस्य बनायें?
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वृद्धावस्था में धर्म और परिवार में कैसे सामंजस्य बनायें? Balance between family and religion during old age? “आज वृद्धावस्था में धर्म और परिवार के बीच सामंजस्य बनाना एक चुनौती बन गया है, प्राय वृद्धावस्था में व्यक्ति धर्म और परिवार के बीच में किस प्राथिमिकता दें इसको लेकर पशोपेश में रहता है – सुनिये मुनि श्री…

रात्रि भोजन त्याग व फलाहार
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रात्रि भोजन त्याग व फलाहार प्राय देखने में आता है की लोग रात्री भोजन त्याग करने के बाद रात्रि में फलाहार आदि लेते है, क्या रात्री में अन्न का त्याग होने पर फलाहार लेना उचित है? सुनिये मुनि श्री प्रमाण सागर जी के विचार Share

श्रावक की प्रतिमाओं का अर्थ व विभिन्न स्तर?
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श्रावक की प्रतिमाओं का अर्थ व विभिन्न स्तर? Different stages of Shravak’s Pratimas with meaning “श्रावकों के लिए ग्यारह प्रतिमाएँ मानी गई हैं, प्रत्येक प्रतिमाओं के गुणधर्म पहले की प्रतिमाओं के गुणों के साथ क्रम से बढ़ते जाते हैं। सुनिये मुनि श्री प्रमाण सागर जी द्वारा श्रावक की प्रतिमाओं का अर्थ व विभिन्न स्तर? “…

अतिशय क्षेत्र व सिद्ध क्षेत्र में ज्यादा महत्व किसका?
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अतिशय क्षेत्र व सिद्ध क्षेत्र में ज्यादा महत्व किसका? Preference for Siddha Kshetra and Atishay Kshetra? “तीर्थ स्थानों का सभी धर्मों में विशेष महत्त्व बताया गया है। जैन धर्म में तीर्थों के दो भेद हैं—सिद्धक्षेत्र और अतिशय क्षेत्र। दोनों क्षेत्रों में किस का अधिक महत्व है सुनिये मुनि श्री प्रमाण सागर जी के मुखारबिंद से…

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