सच्चे धर्मात्मा के गुण
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सच्चे धर्मात्मा के गुण Virtues of true Dharma person सच्चे आध्यात्मिक व्यक्ति के हृदय में प्रेम, ईमानदारी, सत्यता, उदारता, दया श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के भाव उत्पन्न होते हैं। ये सब आत्मा के स्वाभाविक गुण हैं। ये ही मनुष्य की स्थायी शक्तियाँ हैं। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा सच्चे धर्मात्मा के गुण। Share

विजातीय विवाह करने से क्या हानि?
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विजातीय विवाह करने से क्या हानि? Disadvantages of intercast marriage भारतीय समाज में धर्म और वर्ण के आधार पर विवाह होता है। कई बार ऐसी भी स्थिति सामने आती है जिनके कारण व्यक्ति को अपने धर्म तथा समाज से हटकर विवाह करना पडता है। दूसरे धर्म से विवाह को विजातीय विवाह कहते है। सुनिए मुनि…

घर में संकट क्यों आते हैं?
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घर में संकट क्यों आते हैं? Why troubles come to house? इंसान की जिदंगी में उतार-चढाव आते ही रहते है। कभी खुशी कभी गम वाली स्थिति बनी ही रहती है, लेकिन बहुत बार ऐसा होता कि बहुत मेहनत करते-करते भी कोई काम नहीं बनता है। ऐसे में इंसान निराश हो जाता है।सुनिए मुनि श्री प्रमाण…

मन्दिर जाने से क्या मिलता है?
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मन्दिर जाने से क्या मिलता है? What do we get by going to temple? मंदिर और उसमें स्थापित भगवान की मूर्ति हमारे लिए आस्था का प्रतीक हैं और हमारे भीतर आस्था जगाते हैं। किसी भी मंदिर को देखते ही हम श्रद्धा के साथ सिर झुकाकर भगवान के को नमस्कार करते हैं। आमतौर पर हम मंदिर…

मूर्ति पूजा करने से क्या फायदा?
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मूर्ति पूजा करने से क्या फायदा? Advantages of idol worship मूर्तिपूजा का शाब्दिक अर्थ है- मूर्ति की पूजा करना। इसका व्यापक अर्थ है- किसी मूर्ति, चित्र, प्रतिमा या प्रतीक पर श्रद्धा रखना। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा मूर्ति पूजा करने से क्या फायदा? Share

विवाह सम्बन्ध में नौकरी को नहीं संस्कार को महत्व दें
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विवाह सम्बन्ध में नौकरी को नहीं संस्कार को महत्व दें In marital bonding prefer virtues than job विवाह का धार्मिक महत्व होने से ही अधिकांश समाजों में विवाह की विधि एक धार्मिक संस्कार मानी जाती रही है। इसलिए हुएम विवाह संबंधों में संस्कारों को महत्व देना चाहिए। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा विवाह सम्बन्ध…

आत्मा को कैसे जाने?
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आत्मा को कैसे जाने? How to know soul? आत्मा क्या है? वह परमात्मा सत्ता का प्रतीक कैसे है? हम आत्मा को कैसे जान सकते हैं ऐसे कई प्रश्न आपके मन में भी आते होंगे इन सभी प्रश्नों का निवारण कर रहे हैं मुनि श्री प्रमाण सगर जी Share

क्या जैन धर्म प्राचीन है?
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क्या जैन धर्म प्राचीन है?  Is Jainism old? Must see to know जैन धर्म भारत के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है। ‘जैन धर्म’ का अर्थ है – ‘जिन द्वारा प्रवर्तित धर्म’। जो ‘जिन’ के अनुयायी हों उन्हें ‘जैन’ कहते हैं। ‘जिन’ शब्द बना है ‘जि’ धातु से। ‘जि’ माने – जीतना। ‘जिन’ माने…

आदर्श पुत्री कैसे बनें?
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आदर्श पुत्री कैसे बनें? How to become ideal daughter? आदर्श पुत्री का एक लक्षण पवित्रता है। जिसके माध्यम से वह अपने आपको सजाती और संवारती है।आदर्श पुत्री के हर काम में पवित्रता दिखाई देती है। यही कारण है कि एक सुकन्या पवित्रता की प्रतिमूर्ति होती है ।सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा आदर्श पुत्री कैसे…

सास और बहू
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सास और बहू Mother-in-law and Daughter-in-law रिश्ते बनते हैं आपसी प्रेम-स्नेह एवं सामंजस्य से। सास और बहू का रिश्ता भी स्नेह, दुलार एवं आत्मीयता से ही टिकाऊ बनता है। समय के साथ इस रिश्ते में बदलाव भी आ रहा है। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा सास और बहू के रिश्ते के बारे में। Share

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