हम लोग जब सम्मेद शिखरजी की यात्रा करते हैं, तो ऊपर पार्श्वनाथ टोंक पर दर्शन के बाद सब लोगों के खाने के लिए वहाँ पर इतनी व्यवस्था क्यों की गयी है?
व्यवस्था की नहीं गई है, आप की अवस्था के कारण वहाँ व्यवस्था बन गई है और यह अव्यवस्था है, लोगों का धैर्य टूट जाता है। वहाँ जाने के बाद लोग निढाल हो जाते हैं, सोचते हैं कि ‘वन्दना हो गई तो अब मेरा कर्तव्य पूर्ण हो गया। अब खायेंगे तो कोई दोष नहीं है’। लेकिन नहीं, उत्कृष्ट तो यही है कि आप निर्जल वन्दना करें, कुछ भी न लें, यहाँ आयें, उपवास से वन्दना करें। एक उपवास पूर्वक भाव सहित पूरी वन्दना करोगे, तो 203 करोड़ उपवास का फल मिलेगा। पूरी जिन्दगी जितना नहीं कर पाओगे, एक वन्दना में करोगे। यदि खा पी लोगे, तो उतनी ही कटौती हो जायेगी। तो जितना बन सके करो, अशुद्ध मत खाओ, अपवित्र मत खाओ। और पर्वत पर अपवित्रता मत फैलाओ।
आज अकलुज के युवकों ने बहुत अच्छी पहल की। मुझे मालूम पड़ा कि 3 वर्षों से यहाँ वन्दना करने के लिए आते हैं और स्वच्छता का अभियान भी करते हैं। यह पूरे देश में स्वच्छता अभियान चल रहा है।
हम आप सब से कहते हैं, जितने लोग सुन रहे हैं जहाँ के लोग भी सम्मेद शिखर आयें, पर्वत की स्वच्छता और पवित्रता को बनाये रखने का संकल्प लेकर आयें और यहाँ स्वच्छता अभियान चलायें। सबसे अनुकरणीय पहल है। लेकिन यदि स्वछता न ला पायें, तो कम से कम अस्वच्छता न फैलायें। अपने द्वारा कोई गन्दगी पर्वत पर नहीं छोड़ें, वहाँ के पर्यावरण को कहीं से प्रदूषित नहीं होने दें, वहाँ की पवित्रता को कहीं से खंडित नहीं होने दें, तो हम कह सकते हैं कि फिर इस पर्वत की जो रमणीयता और सात्विकता है, वह कभी नष्ट नहीं हो सकेगी, सदैव अक्षुण्ण बनी रहेगी यह प्रयास आप सबका होना चाहिए।
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