खुले में शौच पर प्रतिबन्ध से जैन मुनियों पर असर!

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शंका

ऐसा सुनने में आया है कि संसद में भारत सरकार ऐसा कानून लाना चाह रही है जिसके तहत खुले में शौच जाना दंडनीय अपराध है। अगर ऐसा हो गया हो गया तो मुनिराजों की स्थिति में क्या फर्क पड़ेगा?

समाधान

इस विषय में पूरी समाज का ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा। निश्चित ही देश में फैलती हुई गन्दगी को रोकने के लिए प्रयास सरकार द्वारा किये जा रहे हैं और प्रधानमंत्री जी का सपना है – स्वच्छ भारत बनाना। बहुत अच्छा कार्य है और इसी स्वच्छता को प्रतिष्ठापित करने के लिए संसद में जो आपने कहा है मेरी भी अभी जानकारी में आया है, इसी सत्र में यह कानून आने वाला है। खुले में शौच जाने को लघु अपराध की संज्ञा दी है और उसमे अर्थ दंड का प्रावधान भी किया है। अगर यह प्रावधान हो जाता है, यह कानून पास हो जाता है तो इससे जैन मुनि की चर्या पूरी तरह मिट्टी में डूब जाएगी। समाज को चाहिए कि समय रहते सरकार का ध्यान इस विषय पर आकृष्ट करें और उनसे कहें कि “जैन मुनि की यह अनादि-निधन चर्या है। हमारे आगम में जो मुनियों को, आर्यिकाओं को, त्यागियों को, क्षुल्लक-क्षुल्लिकाओं को अपना धर्म पालने की आगम की आज्ञा है कि “कैसे प्रासुक भूमि में वे अपना प्रतिष्ठापन करें, अपने मल का उपसर्ग करें!”; तो उसमें बाधा होगी! उन्हें यह बात बताई जाये तो निश्चित इसमें परिवर्तन हो सकता है। 

मैं देश भर के लोगों से कहता हूँ कि वे अपने अपने क्षेत्र के सांसदों को इस विषय में कहें कि ऐसा नियम मत लगाएँ और यह नियम यदि लागू हो गया तो बहुत सारी व्यवहारिक कठिनाइयाँ होंगी क्योंकि इंफ्रास्ट्रक्चर भी अभी इतना मजबूत नहीं है। बड़े बड़े आयोजनों में लोगों का क्या होगा, कुम्भ जैसे आयोजन होते हैं, उसमे क्या होगा? अन्य भी समस्याएं होती है। मुसलमानों के यहाँ बड़ी बड़ी जमातें लगती है, उसमे क्या होगा? तो कानून बनाया जाये अशुद्धियों को दूर करने का! लेकिन कम से कम इसमें जैन मुनियों और धार्मिक आयोजनों के लिए कोई exemption मिलना चाहिए, यह प्रयास होना चाहिए। अभय सागर जी महाराज इस विषय में बहुत जागरूकता लाये हैं एक बहुत अच्छा ज्ञापन भी तैयार हुआ है, वो ज्ञापन नेट पर शायद उपलब्ध है। हमने लिखित में चार ज्ञापन already प्रधानमंत्री कार्यालय को भिजवा दिए है और उनकी तरफ से आश्वासन आया है कि अगर ऐसा कानून बन जाये तो भी जैन मुनि को इसमें सम्मिलित नहीं किया जायेगा। हमें इसके लिए सब सांसदों के माध्यम से हमारी बात उन तक पहुँचानी है ताकि जब भी यह कानून लागू हो जैन समाज और धार्मिक अनुष्ठानों को इनसे दूर रखा जाये।

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