ब्रह्म मुहूर्त में उठने के फायदे

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शंका

ब्रह्म मुहूर्त में उठने के क्या फायदे हैं और हमें कितनी निद्रा लेना चाहिए?

समाधान

ब्रह्म मुहूर्त में उठने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि जो ब्रह्म मुहूर्त में उठता है उसके अंदर स्फ़ूर्ती बनी रहती है। ऐसा कहा जाता है कि सूर्योदय से पूर्व व्यक्ति को बिस्तर छोड़ देना चाहिए। क्योंकि उषा-काल में एक विशेष प्रकार के रसायन सक्रिय होते हैं जिसका नाम मेलाटोनिन (Melatonin) कहा गया है। इस रसायन से मनुष्य के अंदर ऊर्जा और स्फ़ूर्ती आती है। जो मनुष्य प्रातः काल में, प्रत्यूष की बेला में, उषाकाल में सूर्य उगने के पूर्व जग जाता है वह उस रसायन का लाभ ले सकता है और उस रसायन के सेवन से अपने अंदर ऊर्जा और उत्साह का संचार कर सकता है। प्रकृति जगती है, तो हमें भी जगना चाहिए। दिन में प्रकृति जागृत रहती है और रात्रि में प्रकृति सो जाती है, तो हम प्रकृति के साथ कदम ताल मिलाकर के चलेंगे तो हमारा जीवन स्वस्थ रहेगा और प्रकृति के विरुद्ध जाएँगे तो हम में विकृतियाँ आ जाएगी। लम्बी जिंदगी, स्वस्थ शरीर और अपने तन मन को शांत रखना चाहते हैं तो प्रकृति के इस नियम का अनुपालन करके ही चलना चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त का बहुत लाभ है।

पहले यह कहा जाता था कि सुबह उठकर के अगर आप कुछ पढ़ते हैं तो बहुत जल्दी याद होता है और कभी भूलते नहीं। हम लोग जब पढ़ते थे तो सुबह उठ करके पढ़ते थे। आजकल तो बिल्कुल उल्टा हो गया। हम लोग जिस समय उठते थे आज लोग उस समय सोना शुरू कर दिए। सारा सिस्टम ही उल्टा हो गया है। तो रात्रिचर्या ने दिनचर्या का स्थान ले लिया है। तो अब आप लोगों की दिनचर्या खत्म और रात्रिचर्या हो गई। और रात्रि में चर्या करने वाले को संस्कृत में नक्तञ्चर कहते हैं। यह बहुत खतरनाक शब्द है। अगर किसी को ‘नकपंचर‘ कह दों तो एक प्रकार की गाली हो जाएगी, यह अपशब्द है। मैं ऐसा नहीं कहता लेकिन यह प्रकृति के विरुद्ध है। इसलिए प्रकृति के विरुद्ध कोई कार्य नहीं करना चाहिए। कोशिश करनी चाहिए कि हर व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में उठें, सूर्योदय से पूर्व अपना बिस्तर छोड़ें कि सूर्य अपनी अनंत ऊर्जा का संदेश लेकर हमारे दरवाज़े पर दस्तक दे रहा है और आप उसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं, तो इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा।

सोने के लिए कहा गया है कि रात्रि के चार प्रहर होते हैं। रौद्र प्रहार, राक्षस प्रहर, गंधर्व प्रहर और मनोहर प्रहर। यह तीन-तीन घंटे के चार प्रहर है। तीन घंटा का ६ बजे से ले कर ९ बजे तक रौद्र प्रहर होता है, ९ बजे से १२ बजे तक राक्षस प्रहर होता है, १२ से ३ तक गंधर्व प्रहर होता है और ३ से ६ तक मनोहर प्रहर होता है। रौद्र प्रहर में कभी नहीं सोना चाहिए। ६ बजे से ९ बजे के बीच आप यदि सो जाते है, तो बड़ी गाढ़ निद्रा आती है। इसको कहा गया है की रौद्र प्रहर को एकदम टालके सोए। ९ बजे के बाद सोए, हो सके तो राक्षस प्रहर का भी कुछ भाग निकाल करके सोए। राक्षस प्रहर के आधे भाग और गंधर्व प्रहर के पूर्ण भाग को सामान्य व्यक्ति के लिए सोने का समय बताया है। मनोहर प्रहर में जाग जाने का उपदेश है। तो आप बस दो प्रहर सोइए, ज्यादा से ज्यादा राक्षस प्रहर और गंधर्व प्रहर में सोइए। मनोहर प्रहर में तो जाग जाइए। जो मनोहर प्रहर में जगता है उसका सारा जीवन मनोहर बना रहता है।

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