मेरे पास एक तोता है। इसका रियल नाम है- मोनू जैन। इन्दौर में जावरा वाला मन्दिर प्रतिदिन सुबह दर्शन के लिए जाता है, स्वाध्याय सुनता है और सब महिलाओं-पुरुषों से ये बातचीत करता है। लोग कहते हैं कि ‘इसको आपने कैद कर रखा है, आप पाप कर रही हो।’ जैनियों में ये बहुत बड़ा दोष माना है। क्योंकि ये उड़ नहीं सकता इसलिए मैं इसकी रक्षा कर रही हूँ तो पहले तो मेरा एक प्रश्न-
(क) क्या इसका रखना दोष है?
(ख) हम चाँदखेड़ी गये, वहाँ हम दर्शन कर रहे थे तो वहाँ से हमें यह कहकर बाहर निकाल दिया कि ‘आप इसको लेकर के आ नहीं सकते हैं।’ वैसे तो कितने ही पक्षी मन्दिर में आते हैं और उड़ते हैं और प्रतिमा जी पर भी बैठते हैं तो क्या इसको ले जाना भी दोष है?
(ग) यदि आपका आहार हो रहा हो या आपको पड़गाया जा रहा हो और उस समय मैं इसको लेकर के खड़ी हूँ तो क्या मुझको कुछ दोष लगेगा?
पहली बात आपने जो कार्य किया है एक प्राणी की प्राण रक्षा का कार्य किया है, तो इसमें केवल पुण्य का कार्य है पाप की तो कोई बात ही नहीं है। जैसा आपने बताया कि किसी ने इसे पिंजरे से बांधकर रखा था, आपने इसे छुड़वाया तो आपके घर से तो बाहर गया ही नहीं। मैंने इस तोते की जो परिणति देखी उसको देखकर मुझे लगा कि निश्चित ये जीव कोई भव्य जीव है। इसके मन में धर्म की श्रद्धा है। जो भाव पूर्वक नमोस्तु करता है, णमो-णमो का उच्चारण करता है। इन्होंने मुझे बताया कि जब कोई विधान होता है, तो इनकी chair (कुर्सी) फिक्स है उसी कुर्सी पर ये बैठता है, हिलता-डुलता नहीं है। इस अबोध पक्षी में भी इतना विवेक है कि मन्दिर जी में भी अशुद्धि नहीं करता है। ये बहुत दुर्लभता से मिलता है। निश्चित रूप से इसका कोई पिछला पुण्य का उदय है और उस पुण्य का उदय है और उस पुण्य के योग से ही आपकी शरण में आ गया। आपने इसका पालन किया है। संरक्षण किया, संरक्षण करो और इसे भेद विज्ञान की बातें बताते हुए आगे बढ़ाओ। णमोकार मन्त्र का जाप कराओ ताकि ये अपने जीवन का उद्धार कर सके इसमें कोई भी दोष नहीं है। निश्चित कुछ न कुछ पिछले जन्म का संयोग होगा, तार कहीं न कहीं से जुड़े होंगे। कोई दिव्यज्ञानी होते तो वो बता देते।
रहा सवाल कि मन्दिर में लेकर जाने का, तो इसमें कोई दोष नहीं है लेकिन जो वहाँ की व्यवस्था है उसमें इसे नहीं ले जा सकते है। पड़गाहन देखने और आहार देखने में बुराई नहीं है, पर पड़गाहन करते समय आपको इसको दूर रखना होगा। ये एक व्यवस्था है। ऐसी व्यवस्था को देखकर के चलना चाहिए।
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