जो व्यक्ति सप्त-व्यसन त्याग नहीं करते उनके लिये पूजन, अभिषेक, आहार देने के लिए कोई नियम होना चाहिए या नहीं?
देखिये, जो व्यक्ति पूजन अभिषेक करता है उसे सप्त-व्यसन का त्याग करना चाहिए। अब रहा सवाल सप्त-व्यसन करने वाले अभिषेक पूजन करें या नहीं? तो गाँधी जी से किसी ने एक बार कहा कि ‘बापू! बहुत सारे लोग प्रार्थना में आते हैं और सिगरेट पीते हैं। क्या सिगरेट पीते समय सिगरेट पीने वाले को प्रार्थना करनी चाहिए?’ गाँधी जी ने उत्तर दिया कि ‘प्रार्थना करते वक्त सिगरेट नहीं पीनी चाहिए, सिगरेट पीते वक्त प्रार्थना कर सकते हैं।’ भगवान का अभिषेक-पूजन करने वाले को सप्त-व्यसन नहीं करना चाहिए और कोई सप्त-व्यसनी है और भगवान का अभिषेक पूजन का भाव हुआ है, तो कर लेना चाहिए। क्योंकि तुम्हारा ये अभिषेक पूजन ही तुम्हें व्यसन से मुक्त करायेगा, तुम्हारी शुद्धि को बढ़ायेगा। लेकिन लोग करने ही नहीं देते, पर उनके हृदय को परिवर्तित करना चाहिए उन्हें प्रेम से संकल्पित करना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति पूजन भी कर रहा है और व्यसन छोड़ नहीं रहा, तो हम कहेंगे कि व्यसन छुड़ाओ, पूजन नहीं। व्यसन छुड़ाने योग्य है, पूजन नहीं। एक अच्छी चीज है, उसको हम क्यों छुड़ा रहे हैं!
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