नकारात्मक सोच रखने वाला व्यक्ति धार्मिक नहीं होता
देखो, सबसे पहले धर्म ध्यान का मतलब जानो। धर्म ध्यान करने का मतलब क्या है? स्व पर के प्रति Positive होने का नाम ही धर्म ध्यान है। Negative क्या है और Positive क्या है, ? आर्तरौद्र ध्यान का नाम Negative है और आर्तरौद्र ध्यान को त्यागने का नाम धर्म ध्यान है, Positive है। तो धर्म ध्यान यानी Positive और Negative यानी आर्त ध्यान और रौद्र ध्यान। जो धर्म ध्यान कर रहा है और कहीं भी Negative है याने आर्त ध्यान है और रौद्र ध्यान है। Negative का मतलब क्या? किसी के बारे में बुरा सोचना, या किसी के बारे में बुरा बोलना या किसी के बारे में बुरा करना। तो बुरा सोचना, बुरा बोलना, बुरा करना धर्म है क्या? नही! तो बुरा सोचना, बुरा बोलना, बुरा करना धर्म है? आप कह रहे हो जो धर्म ध्यान करता है वह दूसरों के प्रति Negative सोचता है, वह सही है? मैं कहता हूँ जो Negative सोचता वह धर्म ध्यान ही नहीं करता, धर्म ध्यान का नाटक करता है। मैं यह कहना चाहूँगा कि जो भी धर्म ध्यानी है, वह Negative सोचना बंद कर दें। “मेरे धर्म ध्यान का उद्देश्य जीवन की नकारात्मकता का शमन है। मैं जितना नकारात्मक होता हूँ अपने धर्म ध्यान से उतना विमुख होता हूँ। मेरे धर्म ध्यान में बट्टा लगता है। मुझे ऐसा कर्म नहीं करना।” मन अगर Negative भागे तुरंत अपने भीतर जागरूकता उत्पन्न करो कि “नही ! मैं पटरी से उतरा, TRACK से अलग हुआ। मुझे ऐसा नही करना, वापस आना है। मुझे क्या करना है? दूसरों से क्या करना है?” आप लोग रोज पूजा करते हो न, पूजा के आखिरी में भगवान से कुछ माँगते हो आपको पता है?
शास्त्रों का हो पठन सुखदा लाभ सत्संगति का।
सद्वृत्तोंका सुयश कहके दोष ढाँकू सभी का।।
प्रार्थना क्या करके आते हो? “दोष ढाँकू सभी का” याने Positive होने की प्रार्थना करते हो और बाहर आकर दोष करना शुरू कर देते हो। तो Negative चले गए तो धर्म घ्यान हुआ कि धर्म ध्यान का नाटक? तो आप लोग नाटक करने में तो होशियार हैँ। तो मामला गड़बड़ हो जाता है। भैय्या, नाटक मत करो। तो “महाराज, क्या करें? चाहते नहीं है फिर भी हो जाता है।” उसी को जीतना है। यह संस्कार है, जो नकारात्मकता की तरफ ज्यादा भागते हैं सकारात्मकता के लिए बहुत कठिनाई से आना पड़ता है। इसीलिए अभ्यास बनाओ। यह समझो कि जब भी मेरे भीतर नकारात्मक आवेग हावी हुए, मैं पटरी से नीचे उतरा। और ना संभला तो एकदम नीचे चला जाऊँगा। और वो नीचे क्या है? जाना है? नहीं जाना तो सम्भल जाओ। नही सम्भलें तो गये।
तो बहुत अच्छा पूछा है कि धर्म ध्यान करने वाले भी दूसरों के प्रति Negative होते हैं। मैं एक बात बताऊँ अगर कोई व्यक्ति दूसरों के प्रति Negative है, तो जिसके प्रति Negative हो उसका कोई Negative हो इसकी कोई गारंटी नहीं। लेकिन दूसरों के प्रति Negative होते ही तुम्हारा तो Negative हो ही गया। तुम स्वंयम के प्रति Negative हो गए, अपने जीवन का अकल्याण इससे होगा। इसलिए यहाँ सावधान हो जाओ, बचो। Be aware
Leave a Reply