शंका
हम रोज़ मन्दिर में पूजा के लिए सामग्री लेकर जाते हैं। क्या पूजा में बची हुई सामग्री हम घर वापस ले जा सकते हैं?
समाधान
शास्त्र के विधान में एक शब्द आता है शेषाक्षत! शेषाक्षत का अर्थ होता है कि भगवान की पूजा के बाद बचा हुआ अक्षत पुण्य! पुराने ज़माने में जब बड़े-बड़े मन्दिर में पूजन करके आते थे तो शेषाक्षत लेकर आते थे और अपने घर के छोटे बच्चों के शीश पर उस शेषाक्षत को रखकर उन्हें मंगलाशीष देते थे। तो ये हमारी प्राचीन परम्परा है। आदि पुराण में ऐसे कई प्रसंग आये हैं जिसमें घर में आने के बाद शेषाक्षत बच्चों के शीश पर और परिवारजनों के शीश पर रखने का विधान है।
चढ़ाई हुई नहीं, बची हुई सामग्री को वापस लेकर आने में कोई दोष नहीं है। बल्कि अपने परिवार के छोटे सदस्यों को आशीष रूप देने के लिए, उसको उपयोग करना चाहिए ताकि उसका पूर्ण लाभ मिले।
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