शंका
स्वाध्याय के फलस्वरूप अगर अपने आचरण में शुद्धता लाते हैं तो वो भी क्या दुःख का कारण हो सकता है?
समाधान
उनके लिए जो इसे नहीं समझते। आपके कारण यदि वो किसी को बोझ लगने लगे तो दुःख का कारण होगा। ऐसे समय में हमें सामने वाले को प्रतिक्रिया करने की जगह अपनी समता का परिचय देते हुए अपनी क्रिया में दृढ़ रहना चाहिए।
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