ब्रह्ममुहूर्त का क्या महत्त्व है, उसका क्या काल है और हम गृहस्थों को कब सामायिक करना चाहिए?
ब्रह्म मुहूर्त को उत्तम मुहूर्त माना गया है। प्रातः काल चार बजे के आस-पास का जो समय होता है, सूर्योदय से पूर्व का, वो ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है। इस मुहूर्त में पूरी प्रकृति बड़ी प्रसन्न होती है, उसमें बहुत positive energy (साकारात्मक उर्जा) होती है। उषा काल से पूर्व का काल ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है।
मैंने एक लेख पढ़ा था कि ब्रह्म मुहूर्त में सोरोटोनिन (serotonin) नाम का एक रसायन होता है जो हमारे अन्दर विशेष स्फूर्ति और ऊर्जा प्रदान करता है। हमारी संस्कृति में हर धार्मिक कार्य को ब्रह्म मुहूर्त में करने की बात कही गयी है। ब्रह्म मुहूर्त में योगी जन साधना करते हैं, ध्यान करते हैं तो मैं समझता हूँ कि उनकी ऊर्जा भी सब तरफ फैलती है। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किए गये कार्य स्थाई प्रभाव छोड़ते हैं। उस समय आप याद करें या पढ़ें वो बहुत काम के होते हैं, एकाग्रता भी होती है। इसलिए ब्रह्म मुहूर्त में व्यक्ति को अपनी नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर अपने धार्मिक कलापों को करना चाहिए।
सामायिक ब्रह्ममुहूर्त में कर सकते हैं। सूर्योदय से पूर्व आपके द्वारा सामायिक हो जाए। सूर्योदय से पूर्व व्यक्ति को अपना बिस्तर छोड़ देना चाहिए। जो व्यक्ति नियमित सूर्योदय से पूर्व बिस्तर छोड़ देते हैं उनका सूर्य हमेशा उगा रहता है, कभी डूबता नहीं है। ऐसा मानकर के चलना चाहिए।
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