बाथरूम से जुड़े कमरे में स्वाध्याय-सामायिक कर सकते हैं?

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शंका

बाथरूम से जुड़े कमरे में स्वाध्याय-सामायिक कर सकते हैं?

समाधान

साधु संत का काम समाज को जोड़ना है समाज को बाँटना नहीं। संतों के निमित्त से तो समाज एक होती हैं और संतों के निमित्त से यदि समाज बँटने लगे तो यह बहुत ही विचारणीय प्रश्न है। संघवाद, पंथवाद, क्षेत्रवाद, जातिवाद यह जितनी भी चीजें हैं, यह हमारे समाज को बहुत नुकसान करने वाले पहलू हैं और आजकल कतिपय लोग इन बातों को बहुत ज्यादा फैला रहे हैं। मेरे विचार

क्षेत्र शुद्धि नहीं है। जिस कमरे में ATTACH LAT-BATH है, वहाँ आप अपने आवश्यकों का पालन करते हैं यह ठीक नहीं है। घर में कम से कम एक कक्ष अपने स्वाध्याय सामायिक-आराधना के लिए सुरक्षित रखना चाहिए और वो एकदम शुद्ध कक्ष होना चाहिए,वहीं बैठकर सामायिक आदि करना चाहिए। 

अब कई बार लोग यात्राओं में रहते हैं और आजकल तो सारे कमरे ऐसे ही होते है, धर्मशालाओं के भी! वहाँ क्या करे? यह एक बड़ी जटिल समस्या है, तो वहाँ आपात काल की स्थिति में बात अलग है; लेकिन कम से कम घर में तो अच्छी जगह करे। बाहर जाएँ, अगर आपका कमरा शुद्ध नहीं है, तो मंदिर में बैठकर के कर ले यह ज्यादा उत्तम है। जब कोई अल्टरनेट ना हो तभी ATTACH LAT-BATH वाले कमरे में सामायिक, पूजा, जाप, आराधना आदि का कार्य करें क्योंकि जहाँ इस तरह के ATTACH कमरे होते हैं वहाँ की नेगेटिव (NEGATIVE) ऊर्जा हमें प्रभावित भी करती है इसलिए इसको टालना चाहिए।

में इस बात को फैलाने में आज सबसे बड़ा माध्यम बन रहा है आपका whatsapp और social media! बिना सिर पैर की बातें दस-पाँच सिरफिरे लोग पूरी समाज में फैला रहे हैं और पूरी समाज में भ्रम उत्पन्न करते हैं। उल्टी सीधी बातों को करके संतों के मन में जो बातें नहीं होती वह बात भी ऐसे सिरफिरे लोग समाज में पैदा कर देते हैं। मैं कहता हूँ ऐसे लोगों से समाज को बहुत सुरक्षित दूरी बनाकर रहना चाहिए।

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