टीवी में ब्रह्माकुमारी हमारे आगम के अनुसार कर्म सिद्धान्त के बारे में अच्छा बोलती हैं, उनका कार्यक्रम देखने में क्या दोष लगता है?
किसी की भी बात सुनो तो उसकी बात मान करके सुनो, जिनवाणी मान करके मत सुनो।
जिनवाणी क्या है, पहले उसे समझ लो फिर आप किसी की बात सुनोगे तो भ्रमित नहीं होंगे। नहीं तो हमारे यहाँ कहा है कि जिनवाणी की बाहर की बातों को आप सुनकर अगर श्रद्धानी बनोगे तो हो सकता है आप सम्यक्त्व के रास्ते से च्युत हो जाओ। सावधान होना चाहिए। हमें concept (विषय) को समझना चाहिए, हमें सम्यक्त्व के रास्ते पर चलना चाहिए, तत्त्व है क्या? वस्तु का स्वरूप है क्या? जहाँ तक जीवन मूल्यों का सवाल है, सब में common (सामान्य) है। हम उन बातों को सुने जो अच्छी बात है, उसे अंगीकार करें, मैं उसका भी निषेध नहीं करता। लेकिन अपने मूलभूत तत्त्व को पहचाने बिना हम जीवन में कभी सफल नहीं हो सकते।
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