शंका
क्या भारत में ऐसे अस्पताल नहीं बन सकते जहाँ जैन डॉक्टरों द्वारा सल्लेखना और समाधि की पूरी व्यवस्था हो?
समाधान
अस्पताल में सल्लेखना हो ही नहीं सकती। अस्पताल में इतनी नेगेटिव एनर्जी होती है कि आदमी बिना मरे मर जाता है। हमें ये चाहिए कि ऐसे डॉक्टरों को तैयार किया जाए जो आदमी की अन्तिम घड़ी आने पर सावधान कर दें और पास में कोई सल्लेखना भवन तक पहुँचा दें। वहाँ उसकी आध्यात्मिक चिकित्सा हो सके। अस्पताल में मरने का भाव कभी मत रखना, गुरु चरणों में णमोकार जपते हुए मरने का भाव रखना, यह प्रयास होना चाहिए।
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