शंका
क्या मन्दिर जी में दीपक प्रज्वलित करना चाहिए? कुछ लोग कहते हैं कि मन्दिर में दीपक से आरती नहीं करनी चाहिए और न ही हवन करना चाहिए, क्योंकि इससे जीव हिंसा होती है?
समाधान
दीप जलाओ, पर विवेकपूर्वक जलाओ। दीप में उतना ही घृत रखो जो तुम्हारी पूजा, आरती तक समाप्त हो जाये। ये गृहस्थों की क्रियायें हैं। भगवान का अभिषेक करने के लिए जल भी गरम करते हो तो उसमें अग्निकाय जीव की विराधना होती है।
आचार्य समंतभद्र जी ने स्वयंभू स्तोत्र में लिखा है कि,
पूज्यं जिनं त्वा-चर्यतो चेतो जनस्य सावद्यलेशो बहू पुण्यराशौ,
दोषाय नालं कणिका विषस्य, न दुषिका शीत शिवाम्बु राशौ।। ५८
भगवान का पूजन करने में जितना पाप लगता है उससे कई गुना पुण्य मिलता है। पाप तो विष की कणिका की तरह है और पुण्य अमृत के सागर की तरह है। इसलिये ऐसे लोगों की बातों पर ध्यान न दें।
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