शंका
मेरी देव शास्त्र गुरु के प्रति असीम श्रद्धा है लेकिन जब हम घूमने या तीर्थ यात्रा पर जाते हैं तो रास्ते के वैष्णव मन्दिर या प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों पर भी जाने का अवसर मिल जाता है। क्या हम दर्शनीय स्थल मानकर वहाँ जा सकते हैं या फिर इसमें कोई दोष है?
सूरज पाटनी
समाधान
पूजा स्थल जो पूजा स्थल होता है उन्हें पूजा स्थल की दृष्टि से देखा जाता है। हमारी दृष्टि में वीतरागी पूज्य स्थल ही हमारे धर्म स्थान है इसलिए हम वीतरागी के पूजा स्थलों को धर्म बुद्धि से देखते हैं। जहाँ वीतरागता नही है वहाँ आप लौकिक दृष्टि से जैसा चाहे वैसा करें।
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