क्या मन्दिर में ही परमात्मा की उपासना की जा सकती है, बाहर से नहीं?
खुशी जैन, जयपुर
एक बार एक डॉक्टर ने मुझसे यह प्रश्न पूछा जो तुम पूछ रही हो। उसने कहा महाराज श्री! मन्दिर जाना क्या जरूरी है? हम घर में भी तो यह काम कर सकते हैं। तब मैंने उनसे पूछा -आप डॉक्टर हैं? उसने कहा- हाँ मैं डॉक्टर हूँ। आप पेशेंट देखते हैं? उसने कहा- हाँ देखता हूँ। सर्जरी भी करते हैं? उसने कहा-हाँ करता हूँ। तब मैंने कहा- आप पेशेंट्स कहाँ पर देखते हैं? बोला- ओ.पी.डी. में देखते हैं। सर्जरी कहाँ पर करते हो? बोला- ओ.टी. में। मैं बोला- सर्जरी ओ.पी.डी. में क्यों नहीं करते हो? उसने कहा- नहीं, नहीं महाराज! ओ.पी.डी. में करेंगे तो गड़बड़ हो जाएगी। ओ.टी. तो बिल्कुल स्पेशल होता है। स्टरलाइज्ड करना पड़ता है तब सर्जरी होती है। ओ.टी. हर जगह नहीं बनाया जा सकता। ओ.टी.एकदम स्पेशल होते हैं।
मैंने बोला क्यों अगर ओ.पी.डी. में ऑपरेशन कर लिया तो? वह बोला महाराज जी! इंफेक्शन फैलने का खतरा है। जैसे आप ओ.टी. का काम ओ.टी. में और ओ.पी.डी. का काम ओ.पी.डी. में करते हो। इसी प्रकार जो भक्त घर में हैं वही भक्त मन्दिर में है लेकिन घर में घर का काम करो और मन्दिर में मन्दिर का काम करो। घर में रह कर के भगवान का नाम लोगे तो कई तरह के इंफेक्शन होंगे। कौन-कौन से इन्फेक्शन? टीवी की स्वरलहरों का इन्फेक्शन, सब्जियों के छौंकने का इन्फेक्शन, बच्चों के रोने का इन्फेक्शन और आपस में लड़ने-झगड़ने का इन्फेक्शन। इन सभी से बचने का एक ही उपाय है और वह है मन्दिर।
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