क्या बहू बिना बेटी बने ससुराल में महत्त्व नहीं पा सकती?

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शंका

कहा जाता है “बहू को बेटी की तरह रहना चाहिए, बेटी जैसे कार्य करने चाहिए”। इससे ‘बेटी’ शब्द का महत्त्व बढ़ जाता है। क्या बहू ऐसे काम ‘बहू’ के रूप में नहीं कर सकती, जिससे उसकी महिमामंडित हो सके?

समाधान

अच्छी बहू वो है जो अपने ससुराल में बहू की तरह ना रहकर बेटी की तरह रहे; बहू बेटी की तरह कब बनेगी? जब अपनी सास को सास मानने की जगह माँ मानना शुरू कर देगी, वह बेटी बन जाएगी, अपने आप काम हो जाएगा। 

बहू को बेटी की तरह रहने का मतलब यह नहीं कि बेटी को महत्त्व दिया जाए। सच्चे अर्थों में वही बहू अच्छी बहू है, जो ससुराल में आने के बाद अपने मायके को भूल जाए। ससुराल को अपना घर मान ले और बहू ना होकर बेटी बन जाए।

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