सम्यक दर्शन के अभाव में पूजा आदि व्यर्थ?
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सम्यक दर्शन के अभाव में पूजा आदि व्यर्थ? Is worship useless without Samyak Darshan? यदि सम्यकदर्शन की प्राप्ति न हों तो क्या पूजा आदि धार्मिक क्रियाएं करना व्यर्थ है? इस स्थिति में व्यक्ति क्या करें? Share

कैसे जल से करें भगवान का अभिषेक
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कैसे जल से करें भगवान का अभिषेक Which water to use for anointing idols? भगवान् के अभिषेक के लिए किस प्रकार के जल का उपयोग करना चाहिए? सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर जी द्वारा कैसे जल से करें भगवान् का अभिषेक। Share

आत्म तत्व प्राप्ति का सरल उपाय
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आत्म तत्व प्राप्ति का सरल उपाय Simplest way for self-realization स्वयं को पहचानने, आत्म-स्वरूप को जानने का सबसे सरल उपाय क्या है? कैसे व्यक्ति निज का बोध कर सकता है? सटीक समाधान मुनि श्री प्रमाण सागरजी का Share

दिन की शादी और रात की शादी में अन्तर
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दिन की शादी और रात की शादी में अन्तर Day marriages vs Night marriages प्राचीन काल में शादियाँ दिन में हुआ करती थी परन्तु आज भौतिकता के इस युग में शादियाँ जैसे मांगलिक कार्य रात में हो रहे है, आपके मन में भी ये जिज्ञासा होगी की रात की शादी और दिन की शादी में…

कर्मों की निर्जरा कैसे करें
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कर्मों की निर्जरा कैसे करें How to do Karm nirjara? जब निरंतर कर्मों का बंध हो रहा है, तो कैसे होगा इनका क्षय और निर्जरा। कैसे भाव रखें कर्मों के उदय में- मुनि श्री प्रमाण सागर जी का प्रमाणिक उत्तर Share

शांतिधारा की महिमा
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शांतिधारा की महिमा Glory of Shanti-Dhaara शांतिधारा क्यों की जाती है? सामान्य अभिषेक की अपेक्षा इसका क्या महत्व है? कैसे करें तथा इससे अपने जीवन में शांति कैसे लाएं जाने शंका समाधान मुनि श्री प्रमाणसागर जी के श्रीमुख से। Share

गुणायतन क्या और क्यों?
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गुणायतन क्या और क्यों? What is Gunayatan and it’s significance? “जैन दर्शन में आत्मशक्तियों के विकास अथवा आत्मा से परमात्मा बनने की शिखर यात्रा के क्रमिक सोपानों को चौदह गुणस्थानों द्वारा बहुत सुंदर ढंग से विवेचित किया गया है. जैन दर्शन में जीव के आवेगों-संवेगों और मन-वचन-काय की प्रवत्तियों के निमित्त से अन्तरंग भावों में…

लोभ सबसे बड़ा पाप क्यों?
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लोभ सबसे बड़ा पाप क्यों? Greed- the biggest sin लोभ ही मनुष्य को सद्मार्ग से भटका देता है और यह पाप का सबसे बड़ा कारण है और शास्त्रो मे लोभ को संसार में सबसे बड़ा पाप कहा गया है। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा लोभ सबसे बड़ा पाप क्यों?” Share

ब्रह्मचर्य का वास्तविक स्वरूप
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ब्रह्मचर्य का वास्तविक स्वरूप Real meaning of celibacy ब्रह्मचर्य व्रत का अत्यधिक महत्व है। ब्रह्मचर्य को सभी तपों में सर्वोपरी तप कहा गया है। ब्रह्मचर्य हमारी आत्मिक शक्ति है। छांदोग्योपनिषद् में ब्रह्मचर्य के विषय में कहा गया है कि ब्रह्मचर्य के पालन का फल चारों वेदों के उपदेश के समान है।।सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर…

मन्त्रों और भावों का प्रभाव
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मन्त्रों और भावों का प्रभाव Effects of mantra and thoughts हमारे वेदोंऔर पुराणों में मन्त्रों का महत्व बताया गया है। पर क्या सिर्फ मंत्रो का उच्चारण करना काफी है ? या अगर मन्त्रों का उच्चारण भावों के साथ किआ जाए तो उनका प्रभाव होता है ?सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा मन्त्रों और भावों का…

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