शास्त्र ज्ञान न हो तो कल्याण सम्भव हैं?
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शास्त्र ज्ञान न हो तो कल्याण सम्भव हैं? Is welfare possible in the absence of scriptural knowledge? शास्त्र ज्ञान भाव के द्वारा संशय को मिटाने पर ही मनुष्य का कल्याण सम्भव है। परमशान्ति का अनुभव न होने का कारण है – जो वस्तु अपने अन्दर है उसे अपने अन्दर न ढूंढ़ कर हम बाहर ढूंढ़ते…

अन्तिम समय ही सबसे महत्त्वपूर्ण क्यों?
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अन्तिम समय ही सबसे महत्त्वपूर्ण क्यों? Importance of last moments of life Share

आयु बन्ध कब होता है?
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आयु बन्ध कब होता है? Bondage of Aayu Karma सात कर्मो का बन्ध प्रति समय होता रहता है किन्तु आयु कर्म का बन्ध कब होता है, उसकी आबाधा कितनी है, अकाल मरण क्या है आदि का वर्णन जानिये मुनि श्री प्रमाण सागर महाराज द्वारा। Share

जैन धर्म हिन्दू धर्म से भिन्न कैसे?
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जैन धर्म हिन्दू धर्म से भिन्न कैसे? How Jainism is differnt from Hinduism हिन्दू और जैन दो शरीर लेकिन आत्मा एक है। यह भी कह सकते हैं कि एक ही कुल के दो धर्म हैं- हिन्दू और जैन। जैन और हिंदू धर्म एक की भूमि पर उत्पन्न और विकसित हुए हैं इसीलिए दोनों की ही…

पुण्य संचय के लिए क्या करें?
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पुण्य संचय के लिए क्या करें? Formulas to accumulate Punya “पुण्य का अर्थ है आत्म तत्व की पवित्रता का बोध. मन की निर्दोष निर्मलता जहाँ होगी वहां की प्रकृति पुण्य होगी. पाप का अर्थ है मन की मलिनता और आत्मा पर पड़े धूल और बोझ जिसे जीव अपने पूर्व जन्मो और आज के जीवन में…

तीर्थंकर केवली और सामान्य केवली में मुख्य भेद?
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तीर्थंकर केवली और सामान्य केवली में मुख्य भेद? Difference between Teerthankar and other Kevalis Share

तीर्थंकर आदि भगवन्तों के विषय में विशेष समाचार सुनने पर राजा आदि 7 कदम ही आगे क्यों बढ़ाते हैं?
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तीर्थंकर आदि भगवन्तों के विषय में विशेष समाचार सुनने पर राजा आदि 7 कदम ही आगे क्यों बढ़ाते हैं? Share

कैसे करें स्वयं को समाधि मरण के लिए तैयार?
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कैसे करें स्वयं को समाधि मरण के लिए तैयार? How to prepare ourselves for Samadhi-maran? Share

पूजा में अष्ट द्रव्य के क्रम का महत्त्व
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पूजा में अष्ट द्रव्य के क्रम का महत्त्व Why we use Ashta Dravya in Jain puja? Share

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