पुण्य संचय के लिए क्या करें?
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पुण्य संचय के लिए क्या करें? Formulas to accumulate Punya “पुण्य का अर्थ है आत्म तत्व की पवित्रता का बोध. मन की निर्दोष निर्मलता जहाँ होगी वहां की प्रकृति पुण्य होगी. पाप का अर्थ है मन की मलिनता और आत्मा पर पड़े धूल और बोझ जिसे जीव अपने पूर्व जन्मो और आज के जीवन में…

तीर्थंकर केवली और सामान्य केवली में मुख्य भेद?
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तीर्थंकर केवली और सामान्य केवली में मुख्य भेद? Difference between Teerthankar and other Kevalis Share

तीर्थंकर आदि भगवन्तों के विषय में विशेष समाचार सुनने पर राजा आदि 7 कदम ही आगे क्यों बढ़ाते हैं?
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तीर्थंकर आदि भगवन्तों के विषय में विशेष समाचार सुनने पर राजा आदि 7 कदम ही आगे क्यों बढ़ाते हैं? Share

कैसे करें स्वयं को समाधि मरण के लिए तैयार?
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कैसे करें स्वयं को समाधि मरण के लिए तैयार? How to prepare ourselves for Samadhi-maran? Share

पूजा में अष्ट द्रव्य के क्रम का महत्त्व
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पूजा में अष्ट द्रव्य के क्रम का महत्त्व Why we use Ashta Dravya in Jain puja? Share

श्रद्धा से विपरीत किये गये कार्य से कितना लाभ?
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श्रद्धा से विपरीत किये गये कार्य से कितना लाभ? Do we benefit from work done without interest? जनता से रिश्ता / वेबडेस्क रायपुर। जीवन में कोई भी कार्य करें उसमें विश्वास, श्रद्धा, विवेक पुरूषार्थ को होना जरूरी है इस प्राकर से किये गये कार्य में व्यक्ति के जीवन में उत्थान होता है। गृहस्थ और समाज…

सिद्धचक्र महामण्डल विधान का महत्त्व
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सिद्धचक्र महामण्डल विधान का महत्त्व Importance of Siddhchakra Mahamandal Vidhan Share

पूजा के विभिन्न भेद
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पूजा के विभिन्न भेद Different types of Puja Share

प्रार्थना और विश्वास की ताकत
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प्रार्थना और विश्वास की ताकत Power of Prayers and Faith जब भी कोई व्यक्ति प्रार्थना के लिए अपने हाथ उठाता है, तब वास्तव में वह अपने भीतर की शक्ति को जगा रहा होता है। प्रार्थना से उसमें विश्वास जागृत होता है। सुनिए मुनि श्री प्रमाण सागर द्वारा प्रार्थना और विश्वास की ताकत। Share

बचपन में ज्ञान, जवानी में धन और बुढ़ापे में पुण्य अर्जित करें|
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बचपन में ज्ञान, जवानी में धन और बुढ़ापे में पुण्य अर्जित करें| Accumulate knowledge in childhood, money in youth & Punya in oldage Share

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